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दीपक एकलव्य
सोचो !जो शब्द मैं अपनी, किताब में लिखूंगा, वो जिंदा रहेंगे, या तुम्हारी आलोचना ! (दीपक एकलव्य) लेखक दीपक एकलव्य की कलम से
लेखक दीपक एकलव्य की कलम से
read morePrashant
एकलव्य द्रोण को अपना गुरु बनाया सीखने धनुर विद्या आया देख कर अपने प्रिय गुरु को मन ही मन बहुत हर्षाया लेकर शुभ आशीष गुरु का उसने अपना हुनर दिखाया जो भी था गुरु ने सिखलाया एकलव्य के बलिदान से ही तो आज अर्जुन अर्जुन बन पाया ©Prashant #एकलव्य
Ashutosh Bhardwaj
माना के अब एक अंश अधूरा है। पर अब आत्मसम्मान पूरा है।। बिना ड़रे - बिना छले, कर दिया त्याग। द्रोण सोचते है बालक एकलव्य अभी भोला है।। आशुतोष भारद्वाज . . © आशुतोष भारद्वाज एकलव्य
एकलव्य
read moreSantosh pawara
संतोष पावरा लिखित , आदिवासी पावराबोली भाषा में कथा ( इंद्रधनुष्य नी, एकलव्य धनुष्य ..!! ) इंद्रधनुष्य नही, एकलव्य धनुष्य...! प्रकृति का शिष्य शौर्य वीर एकलव्य था जिसनें कुत्ते के मुह में सात बाण इस तरह की कौशलोंसे चलाया था , की कुत्ते को जरा सी भी खरोच न आयी । और कुत्ते का मुह बंद हो गया । दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर एकलव्य ही है तो फिर, इस सृष्टि के सात रंगों को इंद्रधनुष्य क्यो कहे ? शब्दो का फेर यह तो सबसे बढ़ा षडयंत्र है! इसलिए इन सात रंगों को एकलव्य धनुष्य कहना उचित है । क्यौंकि इंद्र का शस्त्र तो वज्र था न ।पर आदिवासी बच्चे का जन्म हुआ तो उसकी नाभी/ नाळा तीर से काटने की प्रथा है और किसी भी आदिवासी की मैयत पर उसकी चिता के साथ उसका धनुष्य बाण रखना अनिवार्य है उस, मरे आदमी के नाम से हवा में बाण छोडे जातें है तब विधी होती है यह आज भी हमारी प्रथा है । एकलव्य
एकलव्य
read moreMr. Adarsh Sahu
"कथा वीरों की" सुनो ध्यान से भारतवासी, कथा सुनाता वीरों की। उन वीरों की, महावीरों की, जो हमें दिला गए आजादी॥ कोई लड़ा था दम-खम से, तो कोई लड़ा था अनशन से। कोई खेला था खून की होली, कोई झेला था बम और गोली। कोई चढ़ा था फंदे पर, तो कोई चला था कंधे पर॥ देख कर उत्साहा वीरो का, कोहराम मचा था लंदन में। अंग्रेजों की नींव झुका दी, भारत मां के नंदन ने। हम सब को स्वाधीन बना गऐ, भारत मां के नंदन रे॥ ©Mr. Adarsh Sahu "कथा वीरों की"
"कथा वीरों की"
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