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||स्वयं लेखन||
दर्द जब हद से ज्यादा हो जाता है, तो आंसू नहीं बहा करते, ख़ामोशी का लावा उबलता है। दर्द जब हद से ज्यादा हो जाता है, तो आंसू नहीं बहा करते, ख़ामोशी का लावा उबलता है। #ख़ामोशी #कविता #आंसू #दर्द #कहानी #ख़ामोश#जुबां
दर्द जब हद से ज्यादा हो जाता है, तो आंसू नहीं बहा करते, ख़ामोशी का लावा उबलता है। ख़ामोशी कविता आंसू दर्द कहानी ख़ामोशजुबां
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सीधी बात समझ न आए, तब वो युद्ध बन जाता है युद्ध आरंभ हो जैसे ही मानवता स्मरण कराता है रोते बिलखते भीख मांगते जनमानस बाहर आता है युद्ध विराम होते ही फिरसे कुम्भकरण बन जाता है दुश्मन को दुश्मन न समझे, प्रिय मित्र बन जाता है खंजर खा खा कर तब भी भाईचारे का गुण गाता है बचा नहीं रक्त पुर्वजो का, न खौलता न उबलता है गलतफहमी ही सही लगे तो कौन सत्य उगलता है स्पष्ट दिखाई देता है दृश्य, पर कोई नहीं कुछ कहता है अब्दुल भाई शांतिप्रिय है, रक्तरंजित प्रतिदिन रहता है #साधारणमनुष्य #Sadharanmanushya ©#maxicandragon सीधी बात समझ न आए, तब वो युद्ध बन जाता है युद्ध आरंभ हो जैसे ही मानवता स्मरण कराता है रोते बिलखते भीख मांगते जनमानस बाहर आता है युद्ध वि
सीधी बात समझ न आए, तब वो युद्ध बन जाता है युद्ध आरंभ हो जैसे ही मानवता स्मरण कराता है रोते बिलखते भीख मांगते जनमानस बाहर आता है युद्ध वि
read moreAbhay Bhadouriya
स्वयं को भूल जाऊं क्या. ( अनुशीर्षक में पढ़ें) राणा की वीरता का गाना ना करूं तो क्या मैं सुंदरी के रंग रूप में डूब जाऊं क्या कवच ,तलवार का भी ना करु सम्मान तो क्या तुम कहो तो वीरता का पा
राणा की वीरता का गाना ना करूं तो क्या मैं सुंदरी के रंग रूप में डूब जाऊं क्या कवच ,तलवार का भी ना करु सम्मान तो क्या तुम कहो तो वीरता का पा
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विश्व चलेगा उनकी शर्तो पर अब कौन जय हिंद कहता है जहाँ जन्म लिए मेरे वीरों ने बताओ, वहाँ कौन रहता है क्या मिला लहू उन्हें बहाकर अब किसका लहू उबलता है क्या मिला मुल्क आजाद कराकर वो फिर नये देश को मरता हैं षडयंत्र को नई क्रांति कहकर जनक जन्मदाता कहता है अखंड राष्ट्र के टुकडे करके खंड खंड वो करता है तेरह टुकड़े कर गए राष्ट्र के तब तो देश अपाहिज है अखंड करे फिर राष्ट्र को जो उस योद्धा की बस ख्वाईश है लटकाना पडे तो लटकादो दो चार दस अफसर को जलाना पडे तो जलादो कुछ नेता कुछ दफ्तर को आग लगा दो बीच चौराहे हर उस द्रोही गद्दार को जो कहे करे अहित हमारे राष्ट्र रक्षक नीति नर नार को राष्ट्रभक्ति का बस एक चरित्र हो जो अर्जित करे उन टुकड़ों को और कोई किसी कारण से देश कभी न विभाजित हो देश इतिहास का हर एक योद्धा चाहे मृत या जीवित हो उस वीर सपूत से स्पर्श हर भूमी मेरे राष्ट्र की धरोहर हो युवा पीढी फिर प्रश्न करे क्यों वहाँ कौन अब रहता है भूमि स्वयं उत्तर देगी के यहाँ हिंद योद्धा रहता है "वहाँ कौन रहता है " #Sadharanmanushya ©#maxicandragon विश्व चलेगा उनकी शर्तो पर अब कौन जय हिंद कहता है जहाँ जन्म लिए मेरे वीरों ने बताओ, वहाँ कौन रहता है क्या मिला लहू उन्हें बहाकर अब किसका
विश्व चलेगा उनकी शर्तो पर अब कौन जय हिंद कहता है जहाँ जन्म लिए मेरे वीरों ने बताओ, वहाँ कौन रहता है क्या मिला लहू उन्हें बहाकर अब किसका
read moreruchika_2710
मेरा इश्क बनारस सा है। मेरा इश्क बनारस सा है मेरा इश्क बनारस सा है। कभी निर्मल गंगा जल सा छलकता है, कभी दशाश्वमेध घाट सा शांत मन में ठहरता है, कभी गोदौलिया बाजार
मेरा इश्क बनारस सा है मेरा इश्क बनारस सा है। कभी निर्मल गंगा जल सा छलकता है, कभी दशाश्वमेध घाट सा शांत मन में ठहरता है, कभी गोदौलिया बाजार
read moreअशेष_शून्य
"जिजीविषा,🍁 हमारे प्रेम की " - Anjali Rai ( शेष अनुशीर्षक में ....) सोचती हूं अक्सर क्या ऐसे ही खत्म हो जाएगा सब कुछ शून्य हो जाएगा हमारे दरम्यान या कर देंगे हम दोनों एक दूसरे को अपने ही भीतर ......; तुम ह
सोचती हूं अक्सर क्या ऐसे ही खत्म हो जाएगा सब कुछ शून्य हो जाएगा हमारे दरम्यान या कर देंगे हम दोनों एक दूसरे को अपने ही भीतर ......; तुम ह
read moreDushyant Allahabadi Sheetanshu Dwivedi
इस कदर छाया जुनून है की उबलता मेरा खून है खौफ मुझको है रकीब का संग हो तुम यही सुकून है।।
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द
माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द
read moreसुनिल शर्मा
मेरे दिमाग की तरह ठण्डा है जो वो पानी उबलता हूँ फिर उसमें रंग भरने के लिए थोड़ी चायपत्ती डालता हूँ ज्यादा गहरा ना हो जाये रंग इसलिए ऊपर से दू
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