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Urooj Khan
शीर्षक = अनाथ "क्या बात है आशू की माँ? बड़ी गुम सुम बैठी हो, " बरामदे में चाय पी रहे दिवाकर जी ने कहा, अपनी पत्नि से। "कुछ नही बस देख रही हूँ, हमारी बहु सब कुछ कितना अच्छे से कर रही है, हर रिश्ते और उसकी एहमित बखूबी जानती है,लगता ही नही है कि इसकी परवरिश किसी घर में नही बल्कि अनाथ आश्रम में एक अनाथ के रूप में हुई है।" आशना जी ने कहा। "ठीक कहा आपने, रिद्धिमा को देख कर उसके संस्कारो को देख कर कोई भी नही कह सकता कि वो किसी अनाथ आश्रम से आयी है, जो खूबी हमारा बेटा उसके अंदर शुरू दिन से देख पाया था उसे देखने में हमें काफ़ी साल लग गए, यही कारण था कि हम दोनों ही उसके इस फैसले से खुश नही थे, क्यूंकि अनाथ आश्रम से बहु लाने का मतलब पूरे खानदान में बदनामी करवाना, लेकिन अब लगता है कि हमनें इसे अपनाने में बहुत देर कर दी, ये तो हमें शुरू दिन से ही अपना मान बैठी थी, हमारे प्यार और आशीर्वाद को तरसती थी और हम थे कि इससे मूंह फेर लेते थे लेकिन अब रिद्धिमा ने साबित कर दिया कि वो सही थी और हम गलत, जितना रिश्तों और अपनों की एहमित वो जानती है उतनी हम भी नही जानते क्यूंकि जिस परिवेश में उसकी परवरिश हुई है, वहाँ अपना कोई भी नही था शायद इसी लिए उसे हर एक रिश्ते की एहमित बखूबी मालूम है।"दिवाकर जी ने कहा। "एक दम सही बात बोली है, आपने उससे ज्यादा रिश्तों की एहमियत और कोई जान भी नही सकता, भगवान का शुकर है कि वक़्त रहते हमें भी उसका एहसास होने लगा वरना वो इस बार भी माँ बाप के प्यार से वांछित रह जाती, और इस बार कसूर वार हम और हमारी अना होती।भगवान इन दोनों की जोड़ी सदा सलामत रखे अब तो यही दुआ है।"आशना जी ने कहा,अपनी बहु की तरफ देखते हुए जो उनके पोता पोतियों के साथ खेल रही थी। समाप्त... ©Urooj Khan #अनाथ
Omprakash Bhati
ओम प्रकाश भाटी के द्वारा रची गई एक छोटी सी दिलदार शायरी आप जो भी देखोगे वह भी लाइक और कमेंट जरूर करें ©Omprakash Bhati इंदौर
इंदौर
read moreKunwar Kuldeep Rathore
अगर राम बनना है तो अयोध्या छोड़ना पड़ेगी। बिना अयोध्या छोड़े लंका नहीं जीती जाती। जिंदगी की यही परिभाषा है। अगर कामयाबी चाहिए तो घर छोड़ना पड़ेगा ।। आपके कर्म और मेहनत ही आपको राम बनाते ही। ©Kunwar Kuldeep Rathore #इंदौर ,,,,
#इंदौर ,,,,
read moreGudiya Gupta (kavyatri).....
पकड़ लेता इस चांद को अगर यह सच में मेरा मामा होता। पकड़कर पूछता कहां है मेरी मां? उनके आंचल में आंसू छुपाना होता....। जन्म से पहले और मरण के बाद रहा है हमेशा तू फलक पर... मामा कहता हूं तुझे अगर बता देता कहां है मेरे मां-बाप? तो अनाथ कह कर मुझे ...लोगों का ना यू सताना होता ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #अनाथ
क्षितिज़ समवर्ती
लगा एकाध फोटो इंदौर में रहते हुए और खींच लूँ। दिन बदल रहे हैं, मौसम बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, संभव है हमारा रहवास भी बदल जाए! पर इन सब बदलावों के बावजूद इंदौर के लिए दिल में बनी जगह नहीं बदलेगी। युग बदलेगा, हम बदलेंगे, लेकिन इंदौर हमारा दूसरा होमटाउन बना रहेगा। आज धनतेरस है, परसों दिवाली होगी, घर में नहीं हूँ लेकिन फिर भी लग रहा है घर में ही हूँ। चारों तरफ सुनाई देती पटाखों की आवाज मे एक अलग ही जादू है। दुकानों की रौनक, बिल्डिंगों में झिलमिलाते झालर, इंदौरी 'भिया' के चेहरे पर दिखती खुशी, ये सब घर की यादों को मिटा नही सकते, पर कम जरूर कर रहे हैं। जैसे-जैसे इंदौर से दूर जाने का समय नजदीक आता जा रहा है मन की दशा कुछ अजीब सी रहने लग गई है। कुछ तो रिश्ता है इस शहर से ? रिश्ता ना भी हो तब भी जुड़ाव तो है ही। आखिर चार साल बिताए हैं यहां। कहां बिसरेंगे यहां के पोहे-जलेबी और होलकैरियन! ©क्षितिज़ समवर्ती # इंदौर
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दिलकश, दिलनशीं दिलफरेब माहताब दिखाएंगे तुम्हे ! आना कभी इंदौर, शाही लाल बाग दिखाएंगे तुम्हे!! नवाब"सैम" इंदौर
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