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Arpit Mishra
चाँदनी छत पे चल रही होगी, अब अकेली टहल रही होगी। फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, वो बरफ़-सी पिघल रही होगी। कल का सपना बहुत सुहाना था, ये उदासी न कल रही होगी। सोचता हूँ कि बंद कमरे में, एक शमआ-सी जल रही होगी। शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, तू गली से निकल रही होगी। आज बुनियाद थरथराती है, वो दुआ फूल-फल रही होगी। तेरे गहनों-सी खनखनाती थी, बाज़रे की फ़सल रही होगी। जिन हवाओं ने तुझको दुलराया, उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी। . ©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
read moreविद्यार्थी राहुल
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए! आज ये दीवार पर्दों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए! हर सड़क पर हर गली में हर नगर हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए! सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मिरा मक़्सद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए! मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए! ● दुष्यंत कुमार (1 सितंबर1933-30 दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार
#दुष्यंत कुमार
read moreविद्यार्थी राहुल
होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए, इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए! गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश में, सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए! बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन, सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिए ! उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, चाक़ू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए ! जिस ने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिए! दुष्यंत कुमार (1 सितंबर 1933- 30दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार
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read moreविद्यार्थी राहुल
होने लगी है जिस्म में जुम्बिश तो देखिए, इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए! गूँगे निकल पड़े हैं ज़बाँ की तलाश में, सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए! बरसात आ गई तो दरकने लगी ज़मीन, सूखा मचा रही है ये बारिश तो देखिए ! उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, चाक़ू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए ! जिस ने नज़र उठाई वही शख़्स गुम हुआ इस जिस्म के तिलिस्म की बंदिश तो देखिए! दुष्यंत कुमार (1 सितंबर 1933- 30दिसंबर 1975) #दुष्यंत कुमार
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read moreभारद्वाज
चलो कुछ गुनगुना के देखें ये शायद रात कट जाए ठिठुरते जिस्म की सिहरन जरा सी और घट जाए अब अपने मेहरबाँ से छेड़ करना भी ज़रूरी है भले भी शख़्सियत अपनी कई टुकड़ों मे बँट जाए खुदा का शुक्र है हर आदमी अब सोचता तो है अगर ये नींव कापें और ये दीवार हट जाए #दुष्यंत कुमार#पुण्यतिथि #दुष्यंत कुमार
#दुष्यंत कुमार
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