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RAVI PRAKASH
White नसीब के आगे किसी की नहीं चलती, लेकिन इतना याद रखना , बाहों में चाहे कोई भी आए, महसूस वही होगा जो रूह में समाया होगा ©RAVI PRAKASH #GoodMorning नसीब के आगे किसी की नहीं चलती
#GoodMorning नसीब के आगे किसी की नहीं चलती
read moreबेजुबान शायर shivkumar
कितना बेबस है इंसान__किस्मत के आगे, हर सपना_टूट जाता है हकीकत के आगे.. जिसने दुनिया में कभी झुकना नहीं सीखा, वो भी झुक जाता है मोहब्बत के आगे..❤️ ©बेजुबान शायर shivkumar कितना #बेबस है #इंसान __#किस्मत के आगे, हर सपना_टूट जाता है #हकीकत के आगे.. जिसने #दुनिया में कभी #झुकना नहीं सीखा, वो भी झुक
Parasram Arora
White मैं अच्छे से जानना चाहता हू कि आखिर इस जगत मे मेरा क्या हश्र होने वाला है आगे तभी एक आवाज़ मेरे कानो से आकर टकराई को कह रहीं थी. तुमारे साथ भी वही होगा जो हर इंसान की जिंदगी मे आज तक होता आया है ©Parasram Arora आगे क्या होने वाला. है
आगे क्या होने वाला. है
read moreBhupendra Ganjam
White दुःखों के पहाड़ के आगे आप का दुसरों के लिये रवैये कैसा रहता है, " ये मत पूछो की प्यार में हर कोई आशिक pagal होता है.. " ©Bhupendra Ganjam दुःखों के पहाड़ के आगे आप का दुसरों के लिये रवैये कैसा रहता है, " ये मत पूछो की प्यार में हर कोई आशिक pagal होता है.. " #nojohindi #VAIR
दुःखों के पहाड़ के आगे आप का दुसरों के लिये रवैये कैसा रहता है, " ये मत पूछो की प्यार में हर कोई आशिक pagal होता है.. " #nojohindi VAIR
read moreANSARI ANSARI
White जवानी मे खुन पसीना बहा था परिवार के हर खुशी के लिए। जीवन भर की कमाई लुटा देता है इन्सान बुढ़ापे मे दो वक़्त रोटी के लिए। नासमझ है ओ बुढ़ापे मे ठुकरा देते है मा बाप को दौलत के लिए। ©ANSARI ANSARI दौलत के लिए।
दौलत के लिए।
read moreSarvesh kumar kashyap
🤷 दौलत के शौकीन लोग..🤔👥 #Trending #status #Motivational #shayri #viral #Skk_motivator #newpost
read moreMohan Sardarshahari
White दिन तीस सितंबर के शांति से निपटाय शीत ज्यों ही आयसी खाकर शरीर सुस्ताय। अभी नीले का दौर है आगे पतझड़ आय जब तक बिस्तर छोड़िये तब तक सूरज ढल जाय। नीर आज लगे मनमोहन लूं शरीर से लिपटाय जैसे ही सितंबर जायसी निकालूं इससे नजर चुराय। शीत में जिनकी शादी होयसी वह घोड़ी चढ़ जाय मार्च आये आंख खुले असली मंजर दिख जाय। ©Mohan Sardarshahari सितंबर के आगे
सितंबर के आगे
read moreNiaz (Harf)
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं मगर, टूटे आईनों में सूझते हैं। रोटी के टुकड़ों में बंटा है सारा वजूद, हर ख्वाहिश पर लगता है जैसे कोई सूद। आंखों में आंसू, दिल में हसरतें दबती हैं, हर सुबह उम्मीदें फिर से मरती हैं। नहीं हैं किताबें, ना खेलों की बात, बस मेहनत में बीतता है बचपन का हर रात। वो टूटी हुई झोपड़ी, वो सूना सा चूल्हा, दौलत के आगे सब कुछ यहाँ बेमानी सा लगता है। कभी उम्मीदें होती हैं, कभी दिल तंग होता है, गरीबी में हर इंसान का सपना अधूरा सा रहता है। इस अंधेरी रात में बस एक ख्वाब है रोशनी का, शायद कभी खत्म हो ये दर्द गरीबी का। ©Niaz (Harf) गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
गरीबी फटे हुए कपड़ों में लिपटी ज़िन्दगी की कहानी, हर सांस में बसी है दर्द की निशानी। पेट की आग बुझाने को दिन रात जूझते हैं, ख्वाब तो हैं म
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