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HUMANITY INSIDE
त्यौहार पुरे हो रहें हैं.... और फिर से लौट रहें है परिंदे वापस.. उन्ही शहरों की और.. जहाँ से आये थे वो मोहलत लेकर.. चले आये थे घर के आँगन की और... फिर मन में एक टीस रहा जाएगी.. की काश.. थोड़ा सा वक्त और मिल जाता तो वो घर को जरा और महसूस कर पाते... क्योंकि घरों में उनका आना... अब घर के बच्चों की तरह नहीं, मेहमानों की तरह होता है..!!🥹 ©HUMANITY INSIDE #Light
अनुज कार्तिक
ये चांद अभी जो पानी में था उसकी छत पे जा बैठा है अपने जैसा दिखते ही उसने फूल को तोड़ लिया है हाथ हिलाकर नाम जो पूछा उसने गुस्से से क्यों घूरा है दांत से उसने होठ को काटा मेरे दिल पर बोझ पड़ा है अब क्या बात बताने को है मेरी इज़्ज़त पर उसका दाग लगा है सबकुछ ढक कर भी सब दिखता उसने ऐसा कपड़ा क्यों पहना है ©अनुज कार्तिक #Light
सलीम ख़ान
पहले ही रब ने अपने , बंदों से कह दिया है है कब्र में अंधेरा , तुम नेकियां जलाना । ©सलीम ख़ान #Light
Rajesh kohli
नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी सबका भला करे जय माता दी 🙏🌹 ©Rajesh kohli 10/10/24
10/10/24
read morevedant vivek
White अंधेरे को हराने अंधेरा नहीं रोशनी आएगी ... दर्द के गुनाहों पर पर्दा डालने खुशियां ही आएंगी.. सुबह की रोशनी में मुझे देखने वालों को क्या पता मेरी सच्चाई... रात की गहराईयों से पूछना कभी वो चीख चीख कर मेरे दर्द का हाल सुनाएंगी।।। ©vedant vivek #Light
संगीत कुमार
(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार #pen