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Stories related to रवीन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा दर्शन

@Sushilkumar_Sushil

रवीन्द्रनाथ टैगोर की ये छोटी सी कविता ।

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Anupama Jha

#जन्म#yqbaba#yqdidi#नमन रवीन्द्रनाथ टैगोर कोprompt is Birth

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        जन्म से आपके 
कितनी ही कविताओं, कहानियों
        का जन्म हुआ
        शब्द से आपके
एक नए संगीत का अभ्युदय हुआ
    यथा नाम ,तथा गुण
रविन्द्र भारत का 'रविन्द्र' हुआ....
 #जन्म#YQbaba#YQdidi#नमन रवीन्द्रनाथ टैगोर को#prompt is Birth

VR UpadhYaY

रविन्द्र नाथ टैगोर का इतिहास

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ƒяεε ƒ¡яε łσvεя

जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है। #

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“

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा,
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता!
जय हे! जय हे! जय हे!
जय जय जय जय हे!

”

वाक्य-दर-वाक्य अर्थसंपादित करें

जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जनगणमन:जनगण के मन/सारे लोगों के मन; अधिनायक:शासक; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य-विधाता(भाग्य निर्धारक) अर्थात् भगवान
जन गण के मनों के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!


पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग
पंजाब:पंजाब/पंजाब के लोग; सिन्धु:सिन्ध/सिन्धु नदी/सिन्धु के किनारे बसे लोग; गुजरात:गुजरात व उसके लोग; मराठा:महाराष्ट्र/मराठी लोग; द्राविड़:दक्षिण भारत/द्राविड़ी लोग; उत्कल:उडीशा/उड़िया लोग; बंग:बंगाल/बंगाली लोग
विन्ध्य:विन्ध्यांचल पर्वत; हिमाचल:हिमालय/हिमाचल पर्वत श्रिंखला; यमुना गंगा:दोनों नदियाँ व गंगा-यमुना दोआब; उच्छल-जलधि-तरंग:मनमोहक/हृदयजाग्रुतकारी-समुद्री-तरंग या मनजागृतकारी तरंगें
उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल
एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पे बसे लोगों के हृदयों में मनजागृतकारी तरंगें भर उठती हैं


तव शुभ नामे जागे, तव शुभाशीष मागे
गाहे तव जय गाथा
तव:आपके/तुम्हारे; शुभ:पवित्र; नामे:नाम पे(भारतवर्ष); जागे:जागते हैं; आशिष:आशीर्वाद; मागे:मांगते हैं
गाहे:गाते हैं; तव:आपकी ही/तेरी ही; जयगाथा:वजयगाथा(विजयों की कहानियां)
सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठने हैं, सब तेरी पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाशा रखते हैं
और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं


जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता!
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।
जनगणमंगलदायक:जनगण के मंगल-दाता/जनगण को सौभाग्य दालाने वाले; जय हे:की जय हो; भारतभाग्यविधाता:भारत के भाग्य विधाता
जय हे जय हे:विजय हो, विजय हो; जय जय जय जय हे:सदा सर्वदा विजय हो
जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता
विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो 

संक्षिप्त संस्करणसंपादित करें

उपरोक्‍त राष्‍ट्र गान का पूर्ण संस्‍करण है और इसकी कुल अवधि लगभग 52 सेकंड है।
राष्‍ट्र गान की पहली और अंतिम पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्‍त संस्‍करण भी कुछ विशिष्‍ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है:
“
जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्‍य-विधाता। 
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे। 
”
संक्षिप्‍त संस्‍करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है। जिन अवसरों पर इसका पूर्ण संस्‍करण या संक्षिप्‍त संस्‍करण चलाया जाए, उनकी जानकारी इन अनुदेशों में उपयुक्‍त स्‍थानों पर दी गई है।

©shashank rai जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान है जो मूलतः बंगाली में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम्‌ है।

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Knowledge Fattah

रबीन्द्रनाथ टैगोर

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जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है...

(रविन्द्र नाथ टैगोर)

©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर

srgm

#गीतांजलि ,टैगोर

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Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर

Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर

व्ही.vishwas व्ही. भाले

शिक्षा का असर।।

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Mamta kumari

#शिक्षा का महत्व।

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