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BALJEET SINGH MAHLA
ਹੱਥ ਅੱਡ ਕੇ ਖੜਾ ਤੇਰੇ ਦਰ ਸਾਈਂ ਤੂੰ ਖ਼ੈਰ ਝੋਲੀ ਮੇਰੇ ਪਾ ਸਾਈਂ ਮੈਂ ਦੌਲਤ ਸ਼ੋਰਤ ਤੈਥੋਂ ਨਈਂ ਮੰਗਦਾ ਤੂੰ ਚਰਨਾ ਦੇ ਨਾਲ ਲਾ ਸਾਈਂ ਬਲਜੀਤ ਮਹਲਾ ਭਟਕਿਆ ਫਿਰਦਾ ਹੈ ਤੂੰ ਉਹਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਰਾਹੇ ਪਾ ਸਾਈਂ ©BALJEET SINGH MAHLA Sai Dilip Singh Harpreet Kamal poetry by heart suman kadvasra Aashima khan
Sai Dilip Singh Harpreet Kamal poetry by heart suman kadvasra Aashima khan
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ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਘੁੰਗਰੂ ਬੁੱਲ੍ਹਾ ਜੱਦ ਨੱਚਿਆ ਲੋਕੀ ਆਖਣ ਝੱਲਾ ਦੁਨੀਆਂ ਦਾਰੀ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਔ ਤੇ ਰਹਿੰਦੇ ਕਲਮ ਕੱਲਾ ਬੁੱਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਚੜੀ ਨਾਮ ਖੁਮਾਰੀ ਮੂੰਹੋਂ ਬੋਲੇ ਅੱਲ੍ਹਾ- ਅੱਲ੍ਹਾ ਬਲਜੀਤ ਮਾਹਲੇ ਤੇਰੇ ਅੰਦਰ ਮੁਰਸ਼ਦ ਤੂੰ ਕਿਹੜੇ ਦਰ ਤੁਰ ਚੱਲਾ ©BALJEET SINGH MAHLA ਮੁਰਸ਼ਦ Faraz Khan Kamal writer dream poetry by heart Rashmi vyas
ਮੁਰਸ਼ਦ Faraz Khan Kamal writer dream poetry by heart Rashmi vyas
read moreJashvant
White मिरे लिए कौन सोचता है जुदा जुदा हैं मिरे क़बीले के लोग सारे जुदा जुदा सब की सूरतें हैं सभी को अपनी अना के अंधे कुएँ की तह में पड़े हुए ख़्वाहिशों के पिंजर हवस के टुकड़े हवास रेज़े हिरास कंकर तलाशना हैं सभी को अपने बदन की शह-ए-रग में क़तरा क़तरा लहू का लावा उंडेलना है सभी को गुज़रे दिनों के दरिया का दुख विरासत में झेलना है मिरे लिए कौन सोचता है सभी की अपनी ज़रूरतें हैं मिरी रगें छिलती जराहत को कौन बख़्शे शिफ़ा की शबनम मिरी उदासी को कौन बहलाए किसी को फ़ुर्सत है मुझ से पूछे कि मेरी आँखें गुलाब क्यूँ हैं मिरी मशक़्क़त की शाख़-ए-उरियाँ पर साज़िशों के अज़ाब क्यूँ हैं मिरी हथेली पे ख़्वाब क्यूँ हैं मिरे सफ़र में सराब क्यूँ हैं मिरे लिए कौन सोचता है सभी के दिल में कुदूरतें हैं ©Jashvant #हवस के टुकड़े puja udeshi Ek Alfaaz Shayri Andy Mann Mukesh Poonia vineetapanchal Dr.Mahira khan
#हवस के टुकड़े puja udeshi Ek Alfaaz Shayri Andy Mann Mukesh Poonia vineetapanchal Dr.Mahira khan
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White लाख पर्दों में रहूँ भेद मिरे खोलती है शाइ'री सच बोलती है मैं ने देखा है कि जब मिरी ज़बाँ डोलती है शाइ'री सच बोलती है तेरा इसरार कि चाहत मिरी बेताब न हो वाक़िफ़ इस ग़म से मिरा हल्क़ा-ए-अहबाब न हो तो मुझे ज़ब्त के सहराओं में क्यूँ रोलती है शाइ'री सच बोलती है ये भी क्या बात कि छुप छुप के तुझे प्यार करूँ गर कोई पूछ ही बैठे तो मैं इंकार करूँ जब किसी बात को दुनिया की नज़र तौलती है शाइ'री सच बोलती है मैं ने इस फ़िक्र में काटें कई रातें कई दिन मिरे शे'रों में तिरा नाम न आए लेकिन जब तिरी साँस मिरी साँस में रस घोलती है शाइ'री सच बोलती है तेरे जल्वों का है पर तिरी मिरी एक एक ग़ज़ल तो मिरे जिस्म का साया है तो कतरा के न चल पर्दा-दारी तो ख़ुद अपना ही भरम खोलती है शाइ'री सच बोलती है ©Jashvant शायरी सच बोलती है vineetapanchal Parul rawat Dr.Mahira khan Ek Alfaaz Shayri Andy Mann
शायरी सच बोलती है vineetapanchal Parul rawat Dr.Mahira khan Ek Alfaaz Shayri Andy Mann
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