Find the Latest Status about ईमली का पेड़ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ईमली का पेड़.
Kumar Manoj Naveen
******गांँव के ईमली के बगईचा**** हमार गाँव में एगो, ईमली के बगईचा रहे। भर-दुपहरिया में, उ पूरा गाँव के डेरा रहे।। केहू आराम,केहू बतकूचन,केहू तास खेले। खाली छांहे ना,पूरा मनोरंजन के मेला रहे।। बंसखट बिछाके के सूतला में का आनन्द मिले! गरमी से निजात ,अउर हावा मंद-मंद चले।। बाध-सझुरावल,खाटी-बीनल,कतना निक लागे। गुल्ली- डंटा,छुतुडी़,दोल्हापाती के खेल खूब जमे। अब गांँवे ना हम,ना हमार संगी,ना उ बगईचा बाटे, खाली हमार गांँव,गांँव के उ याद,अउर बगईचा के एहसास बाटे। ******नवीन कुमार पाठक **** ©Kumar Manoj ईमली का बगीचा
ईमली का बगीचा
read moreArunima dubey
बडा़ ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर साथ यहाँ सब छोड़ देते है अपनी जरूरतों का होता है सबको ख्याल यहाँ अपने ख्यालों के चलते कसमें वादे सब तोड़ देते है कसमें वादे तो फिर भी ठीक है लोग यहाँ इन्सानों तक को तोड़ के छोड़ देते है आदत लगाते अपना बनाते फिर किसी और को खुद से जोड़ लेते है बड़ा ही मुश्किल है ये जिंदगी का सफर एक हरे भरे पेड़ से सूख जाने तक का सफर....... ©Arunima dubey जिंदगी का पेड़.......
जिंदगी का पेड़.......
read moreRita Giri
मेरे घर के पास खडा़ वो "नीम " पिता सा लगता था, एक सदी की पीडा़ सहते , कुछ कड़वा सा लगता था । ---- रीता # नीम का पेड़
# नीम का पेड़
read moreEhssas Speaker
यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे। मैं भी उस पर बैठकर राधा बनती धीरे-धीरे॥ ले देतीं यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली। किसी तरह नीची हो जाती यह पीपल की डाली॥ तुम्हें नहीं कुछ कहती पर मैं चुपके-चुपके आती। उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाती॥ वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाती। अम्मा-अम्मा कह वंशी के स्वर में तुम्हे बुलाती॥ सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती। मुझे देखने काम छोड़ कर तुम बाहर तक आती॥ तुमको आती देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाती। पत्तों में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बजाती॥ गुस्सा होकर मुझे डांटती, कहती "नीचे आजा"। पर जब मैं ना उतरती , हंसकर कहती "रानी बेटी"॥ "नीचे उतरो मेरी बेटी तुम्हें मिठाई दूंगी। नए खिलौने, माखन-मिसरी, दूध मलाई दूंगी"॥ बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आती। माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता॥ तुम आँचल फैला कर अम्मां वहीं पेड़ के नीचे। ईश्वर से कुछ विनती करतीं बैठी आँखें मीचे॥ तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आती। और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाती॥ तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती। जब अपनी रानी बेटी को गोदी में ही पातीं॥ इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे। यह पीपल का पेड़ अगर माँ होता आंगन तीरे॥ ©Ehssas Speaker #यह पीपल का पेड़
#यह पीपल का पेड़
read moreReena Tanwar
Grandparents say वो आंगन का पेड़ पहले की तरह झूला नहीं झूलाता.. वो पहले की तरह अब उठ खड़ा नहीं होता.. आज़ कल मीठे फलों का वो स्वाद बी नहीं चखाता.. गुजरते वक्त के साथ वो बदलने का हुनर बी नहीं रखता बस वो वक्त से अब क़दम नहीं मिला पाता..। ©Reena Tanwar वो आंगन का पेड़..
वो आंगन का पेड़..
read more