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🌸Siyaram Dubey 🌈
“कहानी ईश्वर के विश्वास का” जिस के पात्र एक छोटी सी मैना और कुछ कौंवे है rain कहानी nojopoetry Smileee_vijuuu💕 Ravi Sagar यज्ञेश्वर वत्
read moreankit saraswat
कहानी तोता मैना की रचना व स्वरः-अंकित सारस्वत पूर्णतः मौलिक रचना Antima Jain Satyam Purohit Satya Prakash Upadhyay Rajesh rajak कवि राहु
read moreRk_karn1511 अनकही सी बातें
सावन माह का गीत हरी हरियाली देखो सावन की खिली है कलियां प्यारी प्यारी... हिलमिल सब सखी लोड़े फूल भोले भंडारी सुहागन के करो मन के मनोरथ पूर्
read moreDipti Joshi
खिड़कियां जब खोलती हूँ देखती हूँ बारिशें घर में है हलचल मेरे और बाहर हैं बारिशें डाल पर गुमसुम है मैना नाचती हैं बारिशें बीज होता है अ
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे अखलाक, इल्म,तालीम,और अपना जहीन जहन...... फिर उसकी पहचान,उसकी अजमत,अस्मत,आजादी और अल्हड़पन कहाँ खो जाती होगी... गजाला सी चंचल चितवन वाली पिंजरेनुमा सुसराल में कैद मैना सी,शिरीन जुबा से रस उड़ेलती अनजान लोगों से सबकी जी हुजूरी में खिदमते करती बोलती, झिड़कियां,तंज,रंज गाली ग्लोच झेलती और इसी उधेड़बुन में सब्र करती बस...... फिर इसी कशमकश में संतानोत्पत्ति के बाद खुद से ही जिहाद करती हुई,अपनी गृहस्थी संभालती,भूलती रही,अपने जिस्म और रुह पर पड़े जख्मों की थकन से चकनाचूर,अपनी आप बीती को डायरी के पन्नो पर लिखती,संजोती........... वो एक बेनाम,औरत एक रोज मर जाती रही अपना फर्ज निभाकर,और भूल जाते हैं ये मतलबी लोग,.... यही सब सुनते और देखते आ रहे हैं,पता नहीं कब से.? मौजूदा दौर मे तो रिश्ते बस समझौते भर रह गए है..? सुनो बीन्त हव्वा 🎤अबअपने जिस्म को बिछौना बनाकर नहीं जीना...? तुम्हारी वुसअती तो (फैलाव) ला_मेहदूद(अनंत) है!! तुम इब्न आदम की नस्ल बढाने वाली हो,निस्वार्थ उल्फ्तें बांटने वाली हो, तुम अदबन हो अदब के काबिल हो... औरत ही मर्द की संपूरक है,और मर्द औरत से ही संपूर्ण और परिपूर्ण है.!! आदमी मतलबी,अना परस्त,ढीठ,तंगदिल,संगदिल सा हो सकता है,मगर औरत संजीदा,आब ए हयात की मानिंद.हयात देने वाली होती है।जैसे मानो पूरी कायनात बिन औरत के वजूद के अधूरी और बेमानी हो..! मुख्तसर बात यही है के आदमी जरिया है तो औरत तामीरदा(निर्माता)..... बनना और मिटना,औरत से ही है,तो फिर ये बेमिसाल औरत पर आदमी को फजीलत देने वाला,पुरुष प्रधान मुआश्रा क्यूं भूल जाता है औरत के वजूद को....???Bolg by✍️ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे
#sad_shayari ***औरत का वजूद*** कोई भी शादीशुदा औरत अपने सुसराल में केवल अपना जिस्म लेकर नहीं आती है...? वो लाती है अपनी परवरिश के साथ अच्छे
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