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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} अभी मन नहीं कर रहा है, यह एक शब्द या यह विचार व्यक्ति को काफ़ी पीछे कर देता है, हो सकता है, वो समय वह अवसर हमारे लिए ही लेकर आया हो, समय कभी खराब नहीं होता, खराब होते हैं, हमारे कर्म, या विचार जिनका हम परिणाम भुगतने से डरते हैं, और दोस देते हैं, समय को, समाज को, व्यक्ति विशेष को, वही समय उसी समय किसी को खूब फल दे रहा हैं। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} अभी मन नहीं कर रहा है, यह एक शब्द या यह विचार व्यक्ति को काफ़ी पीछे कर देता है, हो सकता है, वो समय वह अवस
#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} अभी मन नहीं कर रहा है, यह एक शब्द या यह विचार व्यक्ति को काफ़ी पीछे कर देता है, हो सकता है, वो समय वह अवस
read moreAbhi Raj
White मेहनत बताती है कि परिणाम कैसा होगा, वरना परिणाम तो बता ही देगा मेहनत कैसी थी ©Abhi Raj #good_night #मेहनत बताती है कि परिणाम कैसा होगा, वरना परिणाम तो बता ही देगा मेहनत कैसी थी#
#good_night #मेहनत बताती है कि परिणाम कैसा होगा, वरना परिणाम तो बता ही देगा मेहनत कैसी थी#
read moreBhupendra Rawat
White अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लिखा ही हम सब भोगते है ©Bhupendra Rawat #Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
#Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
read moreDevesh Dixit
काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास। सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।। काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम। जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।। काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान। विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।। काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन। मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा
#काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म
मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
read moreMukesh Poonia
#World_Photography_Day #परिणाम जो भी हो पर #प्रयास #लाजवाब होना चाहिए बेस्ट सुविचार आज शुभ विचार हिंदी छोटे सुविचार अच्छे विचारों नये अच्छे
read moreRohan Roy
White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में छिपा जानवर मिला। हिफाजत मांगती आवाज लगाई, फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा। क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, या बढ़ रहे सितम समाज में। फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, जो पढ़ ना सके कल और आज में। लाख बुराइयों को मिटाए, फिर भी ना मिटे बुराई समाज में। जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। जब मिला सहारा इस जीवन का, इस ऋण को चुकाना भी होगा। जैसा खेल रचा है तुमने, इसका परिणाम अवश्य मिलेगा। Author_ _Rohan Roy ©Rohan Roy जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में
जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में
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