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Tafizul Sambalpuri
नुक्कड़ -3 उन्हें फुर्सत नहीं हमारे पास वक्त नहीं अजीब दास्तां है जनाब आसमां में सफ़र करते हैं ओ ओर हमारी आंसू भी बिकती नहीं ©Tafizul Sambalpuri #नुक्कड़ Jugal Kisओर Pooja Udeshi दुर्लभ "दर्शन" rasmi Shiv Narayan Saxena
#नुक्कड़ Jugal Kisओर Pooja Udeshi दुर्लभ "दर्शन" rasmi Shiv Narayan Saxena
read moreAnjali Singhal
उसके दीदार के तलबगार हम दिख जाए बस वो एक नजर कितनी चाय पी लेते थे बैठेबैठे नुक्कड़ की टपरी पर गुजरती थी वो शरमाती हुई चंद कदमों के फासले पर
read moreअदनासा-
विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C942fOBMwip/?igsh=aWZ4MHVnbjR0MWZk #भोजपुरी #भाषा #लोकगीत #नुक्कड़नाटक
read moreNisheeth pandey
(तेरी आशिकी में ) ----------------------- तेरी आशिकी में गम ही गम मिले , हक़ीम तो मिले नहीं हाँ रोग ही रोग मिले I बहुत मिले थे तेरे दिल के करीब लाने वाले , लेकिन दिल में घर बनाए फिर अपने लोग घर उजाड़ते बहुत मिले I कम मिले हैं जो गले लगा सके दिल से , बदहलाली में गली नुक्कड़ में दिमाग वाले मुझे देख मुँह फेरते बहुत सारे मिले I बहुत मिले हैं अक्सर मेरी आशिकी का मज़ाक उड़ाते , जो इश्क को समझते थे इबादत मेरी आशिकी पर सब रसिक बनकर मिले I बहुत मिले हैं आशिकी को गलत बतलाने वाले , हकीकत में दुनियादारी से जीने वाले आशिकी में फ़ना होते कहाँ मिले । #निशीथ ©Nisheeth pandey #aashiqui (तेरी आशिकी में ) ----------------------- तेरे आशिकी में गम ही गम मिले , हक़ीम तो मिले नहीं हाँ रोग ही रोग मिले I
#aashiqui (तेरी आशिकी में ) ----------------------- तेरे आशिकी में गम ही गम मिले , हक़ीम तो मिले नहीं हाँ रोग ही रोग मिले I
read moreRavendra
डायल 112 की विभिन्न आपात सेवाओं के बारे मे नुक्कड़ नाटक के जरिये किया जागरूक नवाबगंज, बहराइच। थाना नवाबगंज अंतर्गत कस्बा पशु बाजार चौराहे
read moreNiaz (Harf)
White जलता रहा यह संसार और वो बत्ती बुझा कर सो गया । गरीबों को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान और वो बत्ती बुझा कर सो गया । सरकार बने किसी की भी , हम गरीबों को क्या मिला? एक बोतल दारु और नुक्कड़ की दादागिरी। आरोप, प्रत्यारोप में, पिसता रहा हिंदुस्तान। जलता रहा यह संसार , और वो बत्ती बुझा कर सो गया । तुम बुरे हो, हम अच्छे हैं। यह समझा गया वह नाटकबाज। बेवकूफ बनती रही जनता , और वो बत्ती बुझा कर सो गया । कभी मंदिर तो, कभी अजान। बस दिखाई देती नहीं इनको हमारे किसान। सरकार बने किसी की भी। हम गरीबों को क्या मिला? सस्ता चावल, गेहूं बांटा गया मुफ्त में बदले में लिया कीमती वोट हमारा । बेवकूफ बनती रही जनता, और वो बत्ती बुझा कर सो गया । कभी पाकिस्तान, तो कभी मुसलमान की बातें होती है। क्या यह मुद्दा बड़ा है ? बेरोजगार युवा यही पूछता है। देश की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। क्या मणिपुर की वह बेटी विदेशी है? बेटी को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान । और वो बत्ती बुझा कर सो गया । ©Niaz (Harf) जलता रहा यह संसार और वो बत्ती बुझा कर सो गया । गरीबों को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान और वो बत्ती बुझा कर सो गया । सरकार बने किसी
जलता रहा यह संसार और वो बत्ती बुझा कर सो गया । गरीबों को क्या मिला? पूछता रहा यह हिंदुस्तान और वो बत्ती बुझा कर सो गया । सरकार बने किसी
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