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Nisheeth pandey
चार लाइन चिकित्सक को समर्पित , जो आधुनिक तकनीक पर पूर्णतः चिकित्सा को दलाली का धंदा में परिवर्तित कर दिए । अगर आपको सहीं लगे तो शेयर करें ।धन्यवाद ! लाशों के मांस के लोथड़े को चीड़ फाड़ कर बेच रहे हैं धरा के भगवान ..... गिद्ध बने पड़े हैं न दया है न धर्म ये कैसा हो गया इंसान ..... रोग ने जिसे लाचार किया उसे लुटा जा रहा बेचा जा रहा , मातम लिख रहा रोगी के माथे पर पहले ....फिर दवा के पुर्ज़ा पर भगवान का ईमान .... चीख रहा है गांव से शहर तक की हर गलियां ....कौन यहां शैतान कहाँ है इंसान .... रुपयों की गड्डी पर अधमरा रोगी साँसे ले रहा यहां .... नोट नहीं जिसके पास वो बस जिंदा है भाग्यभरोसे यहां ........ 🤔 #निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey चार लाइन चिकित्सक को समर्पित , जो आधुनिक तकनीक पर पूर्णतः चिकित्सा को दलाली का धंदा में परिवर्तित कर दिए । अगर आपको सहीं लगे तो शेयर करें ।ध
चार लाइन चिकित्सक को समर्पित , जो आधुनिक तकनीक पर पूर्णतः चिकित्सा को दलाली का धंदा में परिवर्तित कर दिए । अगर आपको सहीं लगे तो शेयर करें ।ध
read moreAshok Verma "Hamdard"
*न हथियार से मिलती है , न अधिकार से मिलती है।* *नोट दिखाओ तो बड़े प्यार से मिलती है* 😀❤️😀❤️😀❤️😆❤️😆❤️😆❤️😆 ©Ashok Verma "Hamdard" आधुनिक प्यार
आधुनिक प्यार
read moreDr Sudhanshu Dubey
"आधुनिक नारी" मैं, हम बनूंगी हमसफ़र के साथ जीवन राह पर, मीरा नहीं, सीता नहीं मैं आधुनिक किरदार पर। प्रेम ना करती हूँ, मैं तो प्यार करती हूँ, दिल से कम, दीमाग से मैं यार करती हूँ। यार मेरा देवता ना देवि मैं ही हूँ, अदना हैं वे प्यारे मेरे मैं आम सी ही हूँ। लड़ती हूँ मैं उनसे कभी वे मुझसे लड़ते हैं, रस्साकशी के बीच एक-दूजे पे मरते हैं। चाहती हूँ मैं, कि वे भी हमें निज आय दें, ज्यों ही पहुँचती गेह मैं वे भी तो मुझको चाय दें। परिधान पर मेरे कहीं कोई ना कसता तंज हो, आवागमन पर ना मेरे कोई कहीं प्रतिबंध हो। दायित्व को मैं ही निभाऊँ त्याग मैं ही क्यों करूँ? चाहती हूँ बोझ थोड़ा वे सहें, कुछ मैं सहूँ। कर्तव्य का सब पाठ क्यों मैं ही पढ़ूँ? अधिकार के तेजस तले क्यों ना लड़ूँ? चाहती हूँ मैं नहीं पूजा मेरी देवी सी हो, चाहती सम्मान, समता नर सदृश नारी की हो। डा0 सुधांशु कुमार ©Dr Sudhanshu Dubey आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
read moreAalok champion
आधुनिक कबीर के दोहे पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप; भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप ©Aalok Champion आधुनिक कबीर के दोहे
आधुनिक कबीर के दोहे
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