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Dr.Shailendra sargam
सरस्वती महाभागे विद्याकमल लोचनी, विद्या रुपे विशालाक्षे विद्याम देहि नमस्तुते 🌹🙏
सरस्वती महाभागे विद्याकमल लोचनी, विद्या रुपे विशालाक्षे विद्याम देहि नमस्तुते 🌹🙏
read moreपूर्वार्थ
क्या कर रहे हो आजकल ? पढ़ाई कब तक पूरी होगी ? अभी जो बनना चाहते हैं , कितना समय और लग जायेगा ? ऐसे कई सवाल प्रतियोगी जीवन के यक्ष प्रश्न होते हैं । आम लोगों के लिए सफलता के शीर्षक के अभाव में संघर्ष की हर कहानी संवेदना का संदर्भ मात्र बनकर रह जाती है । प्रतियोगी जीवन की हर ऋतु ग्रीष्म होती है । सर्द और रोमांचकारी मौसम भी विचार और तथ्यों की उधेड़बुन में बेजान से हो जाते हैं । इतिहास की संवेदनाओं को समझते - समझते स्वयं का जीवन दस्तावेज हो जाता है । कई बार तो भूगोल की आपदाओं की भूमि खुद की जिदंगी महसूस होने लगती है । राजव्यवस्था के अनुच्छेदों से अधिक सवाल समाज में उठते हैं। विज्ञान के क्रमबद्ध ज्ञान को आत्मसात करने के क्रम में जीवन के कई चरण छूट जाते हैं । समसामयिक घटनाओं पर दृष्टि इतनी सूक्ष्म और केंद्रित होती है कि खुद से खुद की मुलाकात हुए अरसे हो जाता है । अंतर्राष्ट्रीय संबधों के तार सुलझाते विभिन्न निजी संबंधों की डोर कमजोर पड़ जाती है । फिर भी यह सवाल कितना हास्यास्पद है कि आजकल करते क्या हो ? ऐसा कुछ नहीं करते जिससे किसी को पीड़ा हो , ऐसा भी कुछ नहीं करते जो सृजन के विपरीत हो । हैसियत की दुनिया में भी खैरियत सबसे जरूरी है । खैर बात बस इतनी सी है कि जीवन की गरिमा देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है , और उसका सम्मान करना भी सामूहिक दायित्व है । ©पूर्वार्थ #STUDY_TABLE #विद्यार्थी #विद्यार्थी_जीवन
#STUDY_TABLE #विद्यार्थी #विद्यार्थी_जीवन
read moreMadhusudan Shrivastava
विद्यालय से ज्ञान है, मिले ज्ञान से मान। गुरुवर की पूजा करो गुरु से होत सुजान। (1) शिक्षा अब धंधा बना शिक्षा-सदन दुकान। धर्म-कर्म सब बिक गया, बिकता है अब ज्ञान। (2) अनुशासन अनुराग से, मानवता सत-शील। ज्ञान और विज्ञान से, है विकास गतिशील। (3) विद्यालय की सीख से लक्ष्य हुआ आसान। धैर्य, धीर, सत्कर्म से, होता है कल्यान। (4) विद्या है वो सम्पदा, मिले नहीं यह मोल विद्या-धन अनमोल है धन से इसे न तोल। (5) मधु विद्यालय एवम विद्या
विद्यालय एवम विद्या
read moreBiikrmjet Sing
गुरमुख समझाते हैं के जब हम गुरवाणी रूपी विद्या को विचारतें हैं गुरमुखो के दिये ज्ञान द्वारा तो हमारा मन परूपकारी बन जाता है यानी सब को गुरबाणी की रोशनी यानी नाम के बारे मे जनाने के लिये गुरुमुखों को मिलाने हेतु तैयार हो जाता है जिससे और जीव मन भी गुर उपदेश ले कर तर जाते हैं। गुरु जी फ़रमान करते हैं,"विद्या विचारी तां परूपकारी।।" ©Biikrmjet Sing #विद्या_विचारी_तां_परूपकारी
Ishvarchand vidyasagar
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि उसे हमें छोड़कर कही दूर चले जाना चाहिए विद्यासागर
विद्यासागर
read moreMadhur Bhaiji
डगमग मैं जिस भव सागर में उस सागर की तू शान है, मैं कश्ती कच्ची कागज की पर तू विशाल जलयान है। हो मोक्ष पंथ के राही तुम इतनी अर्जी बस सुन लेना, हमको भी पार निकलना है कुछ हम खेते कुछ तुम खेना ।। ✍ मधुर भाईजी विद्यासागर
विद्यासागर
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