Find the Latest Status about बावरा मन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बावरा मन.
Anupam Mishra
था चारो ओर छाया घना अँधियारा उसमें रौशनी ने आकर दिया सहारा पर कमबख़्त मन तो ठहरा बावरा, अँधेरे में ही ढूँढने चला अपना किनारा। बावरा मन
बावरा मन
read moreShreyashi Mishra
सुनो ,,, अच्छा लगता है अब, खुद का हाथ पकड़ राहो पर चलना, बस यूं ही तुम्हे याद करना ,हल्के से मुस्कुराना ।। फासले कहा है दरमियां हमारे, लगता है अच्छा हवाओ से बाते तुम्हारी करना।। लोग कहते है मेरे एहसासों को शायरी ,उन्हें पता नही ,कलमो से ही शिखा है मैने इश्क़ करना।। अकेले ही रहते है,,खुद में खोए से फिरते है। तबाह कर दिए है खुद को इन राहो में,मुझे पसंद है अब अल्फाज़ो से खेलना।। #बावरा मन
#बावरा मन
read moreRohit (ख़ानाबदोश)
पिंजरों से पंछियों को तो ना जाने कितनी बार आज़ाद करा होगा कभी अपने मन के पंछी को उड़ान दी है #खानाबदोश बावरा मन
बावरा मन
read moreAnokhi
बावरा मन बावरा मन,क्या है तेरी चाहत..! बावरा मन,क्यूं मिलता नहीं तुझे राहत..!! ©Abha Anokhi #बावरा मन
#बावरा मन
read moreShreyashi Mishra
किसी के यादो के साये लगते हो ,क्यों इतना खुद में खोए रहते हो। दिन है अब भी तुम्हारा ही ,यूँ रातो को क्यों जागते रहते हो।। क्यो निहारते हो नदियों को बेवजह ,हवाओ को तुम समुन्दर लगते हो।। बावरा मन
बावरा मन
read more@Sushilkumar_Sushil
बावरा मन देखने चला बावरे सपने। बावरा सा मन है ये ,बावरी इसकी बाते ।। बावरे से इसकी सपने,बावरे से इसकी उड़ाने । बावरा मन देखने चला बावरे सपने ।। बावरा मन##
बावरा मन##
read moreShreyashi Mishra
मेरे लिए मोहब्बत का अर्थ सिर्फ इतना सा है ,,मैं लिखू जो कविता तो बस वो पढ़ कर मुस्कुराता रहे।। नाराज़गी भी बयां मैं आंखों से करूँगी ,, वो कह 'ग़ालिब' गजलें मुझे सुनाता रहे।। #बावरा मन
#बावरा मन
read moreNeha Maurya
#MessageOfTheDay ये बावरा मन भी न जाने क्या क्या चाहता है.... ना रहूं उनके पास तो उनकी फिकर सताता है। ©Neha Maurya #बावरा मन #Messageoftheday
Shaikh Akhib Faimoddin
बावरा मन मन संमदर है तुफानों को छुपाए बैठा है| न छेडो वो तराने बडी मुश्कील से भुलाए बैठा है| मन है बावरा जो खुदको जलाए बैठा है| कसते हैं ताने लोग फिर भी होठों को सिलाए बैठा है| सींप तो कईं मिले इसे ना जाने क्यों मोती गवाए बैठा है| न होगा यहाँ पे सवेरा फिर क्यों आस लगाए बैठा है| मन की बातें मन ही जाने जो काटों की बगीया सजाए बैठा है| मिट रहा है तन फिर भी आरमान दबाए बैठा है| पत्थर की है ये दुनिया क्यों मिट्टि के घर बनाए बैठा है| धन की भाषा समजनेवालों को क्यों प्यार के गीत सुनाए बैठा है| बनाया तन क्यों बनाया मन ये सोचकर रब भी पछताए बैठा है| बावरा मन
बावरा मन
read more