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Mamta Raj
अल्फाज बन कर बह जाता हैं 'दर्द' दरिया सा..........एक खाली 'कागज' ओर हजारों 'गुप्तगू : #गुप्तगू #nojoto#2liner#like#follow
Rabindra Kumar Ram
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels com " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ
Pic : pexels com " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ
read moreRabindra Kumar Ram
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई . " --- रबिन्द्र राम " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
read moreNeha Tiwari
आज मेरे कमरे की दीवारों से गुप्तगू की मेरा कमरा इस भीड़ भरे शहर में काफी अकेला है --- Neha Tiwari आज मेरे कमरे की दीवारों से गुप्तगू की मेरा कमरा इस भीड़ भरे शहर में काफी अकेला है
आज मेरे कमरे की दीवारों से गुप्तगू की मेरा कमरा इस भीड़ भरे शहर में काफी अकेला है
read moreRabindra Kumar Ram
" गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चाहत की बगावत करते हैं . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चा
" गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चा
read moreRabindra Kumar Ram
" गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चाहत की बगावत करते हैं . " --- रबिन्द्र राम " गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चा
" गुप्तगू करनी है कुछ बात तो किजीए , सारे हालात ठहरे हैं कुछ सवालात तो किजीए , कर ना बेरुखी कुछ गुनाह आ साथ में करते हैं , सराफात छोड़ आज चा
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" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें , मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्
" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्
read moreRabindra Kumar Ram
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
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" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
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" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू तक ना हुई ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
" किस कदर तेरी मौजूदगी जाहिर करें , तुमने अब तक मुझे एक आवाज तक ना लगाईं , तेरी जुस्तजू तेरा ख्याल जाहिर हैं , अब तलक कुछ तुझसे कुछ गुप्तगू
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