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m kalvadiya
White कड़वा हे मगर सच है कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है ©m kalvadiya #घर किलक्ष्मी
#घर किलक्ष्मी
read moreShiv Narayan Saxena
White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night घर-घर में होने लगे.....
#good_night घर-घर में होने लगे.....
read mores गोल्डी
"किडनी" से काम चले तो बता देना , अब किसी को दिल देना अपने बस की बात नहीं ...... 🤪😃🤪 ©s गोल्डी "किडनी" से काम चले तो बता देना , अब किसी को दिल देना अपने बस की बात नहीं ......🤣
"किडनी" से काम चले तो बता देना , अब किसी को दिल देना अपने बस की बात नहीं ......🤣
read moreMahesh Chekhaliya
White किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही, बिन बुलाया मेहमान बनना मेरी आदत नही...! मैं अपने गम में रहता हूँ नबाबों की तरह, परायी खुशियो के पास जाना मेरी आदत नही...! सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मै, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नही...! बांटना चाहता हूँ तो बस प्यार और मोहब्बत, यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही...! जिंदगी मिट जाये किसी की खातिर गम नही, कोई बहुआ दे मरने की यूँ जीना मेरी आदत नही...! सबसे दोस्त की हैसियत से बोल लेता हूँ, किसी का दिल दुखा दूँ मेरी आदत नही...! दोस्ती होती है दिलों से चाहने पर, जबरदस्ती दोस्ती करना मेरी आदत नही.. ©Mahesh Chekhaliya #Sad_shayri किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही,
#Sad_shayri किसी को तकलीफ देना मेरी आदत नही,
read moreSangeeta Verma
White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma #घर # कविता
#घर # कविता
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