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DASHARATH RANKAWAT SHAKTI
#meradil छुप छुप अश्रु बहाने वालों Kumar Shaurya pinky masrani Praveen Jain "पल्लव" काव्य महारथी निर्भय चौहान
read moreBhanu Priya
जब नाम उन पन्नों पर तुम्हारा आया , मुस्कुराऊं -चिल्लाऊं , झुमू या गाउं , फिर किनारे बैठ गई हज़ार बार पंक्ति को पढ़ती रहीं , कभी अश्रु , कभी मुस्कान मैं तुमको याद करती रही , मैं तुमको याद करती रही । ©Bhanu Priya जब नाम उन पन्नों पर तुम्हारा आया , मुस्कुराऊं -चिल्लाऊं , झुमू या गाउं , फिर किनारे बैठ गई हज़ार बार पंक्ति को पढ़ती रहीं , कभी अश्रु , कभी
जब नाम उन पन्नों पर तुम्हारा आया , मुस्कुराऊं -चिल्लाऊं , झुमू या गाउं , फिर किनारे बैठ गई हज़ार बार पंक्ति को पढ़ती रहीं , कभी अश्रु , कभी
read moreRakesh frnds4ever
White हंसते हंसते रो पड़ते हैं जो आंखे पोछू तो अश्रु फिर उमड़ पड़ते हैं किसी और को क्या कहें किसी अपने ने ही आंख रुलाई है हमारी ऐसी ये हालत बनाई है ये नरकीय दुनिया हमे समझ नहीं आई ,,,,,समझ नहीं आई,,, ©Rakesh frnds4ever #हंसते हंसते #रो पड़ते हैं जो आंखे पोछू तो #अश्रु फिर उमड़ पड़ते हैं #किसी और को क्या कहें किसी #अपने ने ही आंख #रुलाई है हमारी ऐसी
अदनासा-
व्हिडियो सौजन्य आणि हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C_pbgMjSofm/?igsh=OXB0Zmx4eGpjY2tw #भारतीय #मराठी #हिंदी #सिनेसृष्ट #
read moreAjay Chaurasiya
White जो बह ना सके, सुख गए, नयनों के अश्रु, अधर मौन कर गए, हृदय की पीढ़ा देख, अधर मुस्कुरा दिए, शब्द अधर के, नयन ने बया किए... ©Ajay Chaurasiya #अश्रु
Prakash writer05
White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएँगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l ©Prakash writer05 सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं। माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
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