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neelu
White हम क्यों भुलाना चाहते हैं कि हम क्यों चल रहे हैं हम क्या क्या कह रहे हैं क्यों रावण जला रहे हैं हम क्यों अंधेरे के लिए जला रहे हैं ©neelu #diwali_wishes हम #क्यों #भुलाना चाहते हैं कि हम #क्यों चल रहे हैं हम क्या #क्या कह रहे हैं क्यों #रावण #जला रहे हैं हम क्यों #अंधेरे के
Juhi Tiwari
White बाप बचे नींबू पानी और बेटा बना मुकेश अंबानी ©Juhi Tiwari कॉमेडी लेकिन
कॉमेडी लेकिन
read moreSuhana safar
White एक वक्त के बाद सामने वाले को सब फीका-सा क्यों लगने लगता है किसी का साथ किसी की मुस्कुराहट चांद की चांदनी का बहुत खूबसूरत लगना एक ही इंसान में सब कुछ मिल जाना वह पहली बार मिलना बहुत सारी बातें करना दिल खोल कर रख देना वह अंदर ही अंदर खुश होना दिल के सारे दर्द किसी अपने को बता देना यह कहना कि तुम्हारे सिवा मेरा कोई नहीं है तुम हो तो मेरी हर खुशी है एक वक्त के बाद सामने वाले को सब फीका-सा क्यों लगने लगता है...…. ©Suhana safar आखिर क्यों... #justthought
आखिर क्यों... #justthought
read moreRakesh frnds4ever
White हर समय बैचेनी/ फिकरें लगी रहती हैं,, कुछ भी होश नहीं होता कुछ भी याद नहीं रहता,,,, दर बदर भटकने से भी कोई दर नजर नहीं आता जहां एक पल को सुकूं मिले ,आराम मिले,,, बड़ा तड़प रहे हैं झुलस रहे हैं बिखर रहे हैं लेकिन क्यों!? क्यों!? ऐसा!?!? क्यों!?!? कोई भी समझ नहीं आई रोया तड़पाया मैंने क्या है कमाया इस दुनिया दारी कि खातिर मैने क्या खोया क्या पाया,,,,..... ©Rakesh frnds4ever #रोया #पछताया हर समय #बैचेनी / फिकरें लगी रहती हैं,, कुछ भी #होश नहीं होता कुछ भी #याद नहीं रहता,,,, #दर_बदर भटकने से भी कोई दर नजर
Shiv Narayan Saxena
सफल हो या असफल हो , प्रयास कभी न विफल हो जो भागे छोड़ कर मेहनत , जय का अधिकारी क्यों हो ©Shiv Narayan Saxena जय का अधिकारी क्यों हो?
जय का अधिकारी क्यों हो?
read moreAnuj Ray
White तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन" तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन, मेरे दिल की धड़कनों ने, एक गीत सुन लिया है। गुनगुना रहा था ,जिस प्रेम की में सरगम, सपनों का वही राही, मनमीत सुन लिया है। ©Anuj Ray # तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन"
# तुमने कुछ कहा भी नहीं लेकिन"
read moreHarpinder Kaur
White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़ खिलौना समझना जिसे वो इस्तेमाल करता है महज़ दिल बहलाने को दिल बहला लेने के बाद उसका खिलौना महज़ रह जाता है एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना फिर उस खिलौने में दिलचस्पी खत्म होने पर आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता क्यों महज़ रहता है वो आदमी...... ©Harpinder Kaur # आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?
# आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?
read moreMahesh Patel
White सहेली.... हम भूतकाल में जाके आरंभ को बदल नहीं सकते.. लेकिन हम जहा है, वहां से एक नई शुरूवात कर अंत को बदल सकते है... लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... लेकिन... लाला...
सहेली... लेकिन... लाला...
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