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अलौकिक "आलोक"
🌹होली गीत💕 होली खेलन आयो रे, प्रेम संदेशा लायो रे, ग़ुलाल गालन पे लगायो रे, बदन को पूरा भिगायो रे, होली खेलन आयो रे, प्रेम संदेशा लायो रे, राधा चूनर भिगायो रे, कान्हा ख़ूब सतायो रे, मुरली मधुर बजायो रे, छुपके रास रचायो रे, होली खेलन आयो रे, प्रेम संदेशा लायो रे, कान्हा चुपके से आयो रे, राधा को गले लगायो रे, कोई देख न पायो रे, कोई समझ न पायो रे, कृष्णा कृष्णा बोलो रे, राधा-राधा बोलो रे, कृष्णा कृष्णा बोलो रे, राधा-राधा बोलो रे, होली खेलन आयो रे, प्रेम संदेशा लायो रे... अलौकिक "आलोक" होली-गीत
होली-गीत
read moreबिमल तिवारी “आत्मबोध”
अब के बरस होलिका कुछ बाद में जलाई जाय पहले ख़ुद के अंदर की नफ़रत को मिटाई जाय आडम्बर हिँसा राग द्वेष सब होलिका में फेंक कर अपने भीतर की सब बुरी बला होलिका में जलाई जाय सुबह सुबह सद्भाव प्रेम का रंग बिरंगा गुलाल अबीर गले से मिलकर प्रेम से सबके गाल पर लगाई जाए बहे प्यार की कोई गंगा होली के हुड़दंग में आज कट्टरपंथ और आतंकवाद को नाली में बहाई जाय भेदभाव सब मनमुटाव को रगड़ रगड़ कर तन से फेंक प्यार सौहार्द की बहती दरिया में संग संग नहाई जाय रंग जाए सतरंगी आलम ऐसा उड़े गुलाल अबीर फ़ाग साथ में बैठकर सारे संग संग गाई जाय याद रहे ये होली हरदम वतन समाज़ अवाम सभी को आओ मिलकर हिन्दू मुस्लिम होली मनाई जाय ।। ©बिमल तिवारी "आत्मबोध" होली गीत
होली गीत
read morekavi mukesh gogdey
गीत (होली) होली को मस्ती में,मस्तानी बना दो। बूढ़ो में कभी आई वो,जवानी बना दो? रंगीन हो जाऊँ मैं,रंगों के साथ मे। मुझ पर कोई ऐसी,निशानी बना दो? गालों पर मेरे भी,तुम रंग लगा दो। बहक जाऊँ,तुम मुझे भंग पिला दो। भीग जाऊँगा मैं,पानी के बिना ही। आंखों से मुझ पर,पिचकारी चला दो। गली तुम्हारी आया हूँ,एहसान जता दो। आओ बाहर घर से,सुरत तो दिखा दो। मौका कहाँ मिलता है,रोज मिलने का? होली मिलन बहाना,गले तो लगा लो।। मुकेश गोगडे ©kavi mukesh gogdey गीत (होली) #Holi
गीत (होली) #Holi
read moreKumar Manoj Naveen
गोरीया खेलेली फागु, गोरीया खेलेली फागु, बुढवा -जवनकन के संगे। बड़ पिचकारी चाहें छोट पिचकारी, खेलतारी ओकरे से जे करे मनवाली, मानत नईखी केहुवो के बात हो, उ त मानत नईखी बात। गोरीया खेलेली फाग...। भोजपुरी होली गीत
भोजपुरी होली गीत
read moreरामअवतारपाल
आसान मंज़िल शीर्षक -"होली" होली खेलन राधा आयी गोकुल में वरसाने से। आँखें करने चार वो अपने प्रेमी कृष्ण दीवाने से। आँखों में आँखें डाली तो सुदवुध अपनी भूल गयी। इतनी मग्न प्रेम में डूबी सखियों को भी भूल गयी। पल में हुलिया बदल गयो कान्हा के रंग लगाने से। मन ही मन मुस्काय रहे थे पास खडे दाऊ भइया दूस भवन से चुपके-चुपके देख रही जशोदा मइया। वेहा तनिक न चूको मौका उसके रंग लगाने से। चुरा के नजरें फिर सखियों से दुल्हन सी शरमाई वो। पकड के लहगा दोनों हाथ से ऐसी दौड लगाई वो। सखियॉ वोलीं काम चले न अब ऐसे शरमाने से ©रामअवतारपाल होली गीत #WForWriters
होली गीत #WForWriters
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