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अभिषेक मिश्रा "अभि"
वज़ूद जैसा भी सही मेरा, *मुगरहाँ_के_नीम* की याद अभी बाकी है। कलिजुग का परिवेश जैसा भी सही, वो पुराना *विरसा* अभी भी बाकी है। और सब कहते हैं नाम हो रहा है मेरा, पर *बापू_तेरी_नई_पहचान* बनाना अभी बाकी है। ©अभिषेक मिश्रा "अभि" #सोनू_की_कलम_से #विरसा
Suresh Kumar Chaturvedi
क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जन्म-१५नवम्बर-१८७५ अंग्रेजों, पुलिस,क़िश्चियन मिशनरियों,भू-पतियों एवं महाजनों के शोषण व अत्याचारों के खिलाफ छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा आदिवासियों के विद्रोह १८९९-१९०० का नेतृत्व किया ३ फरवरी १९००को वंदी बनाया गया ९ जून १९०० को रांची जेल में वीरगति को प्राप्त हुए। बिरसा मुंडा नायक थे, महान क्रांतिकारी थे अंग्रेजों जागीरदारों के खिलाफ, क्रांति के नायक थे बिहार राज्य अब झारखंड, मुंडा आदिवासी समाज वनों में रहते थे खेती किसानी और जंगल से, आजीविका चलाते थे अंग्रेज़ों ने वन संपदा के लिए, जमीन से बेदखल किया घर जंगल जमीन से, उनको बाहर खदेड़ दिया मनमानी लगान वसूलते थे, और बेगारी करवाते थे अंग्रेज और जागीरदार, अत्याचार ढहाते थे धर्म भी परिवर्तित कर उनका, उनको ईसाई बनाते थे अत्याचार और दमन से,विरसा मुंडा को आक्रोश हुआ अपनी धरती अपना जंगल, आजादी को बेचैन हुआ संगठित किया मुंडाओं को, क्रांति का आह्वान किया बार बार हराया अंग्रेजों को, जागीरदारों को भी परास्त किया शहीद हुए कई आदिवासी, अंग्रेज भी कई मारे गए नाक में दम कर दिया बिरसा ने, आखिर मुखबिरी से गिरफ्तार हुए जेल में जहर दे दिया उनको, और मुंडा जी शहीद हुए आदिवासी समाज में उन्होंने, कुप्रथाओं को तोड़ा था समाज सुधार किया, समाज का रुख मोड़ा था अमर शहीद बिरसा मुंडा, जो अपनी अस्मिता को लड़े संस्कृति अस्मिता बचाई अपनी,मातृभूमि के लिए लड़े अमर रहेंगे बिरसा मुंडा, अमर वीर बलिदानी भारत माता को गर्व है तुम पर ढेरों तुम्हें सलामी सुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi #India आदि विद्रोही विरसा मुंडा
#India आदि विद्रोही विरसा मुंडा
read moreसुरेश चौधरी
आज का भजन एक नया प्रयोग किया है पदावली में दर्शन डाल कर। अगर अच्छा लगा तो आशीर्वाद दीजियेगा।। सीने में छिपा दर्द बाहर कैसे लाऊं मैं। काली रात में गगन उड़ता, पाखी घर कैसे लाऊं मैं सहमा सा रहता कोने में, घोर डर कैसे भगाऊँ मै उठ ताजगी पँखो को दूँ मैं, नई भोर कैसे लाऊं मैं सांपो को दूध पिलाया है, गलती दूध की बताऊं मैं छलके अश्रु कितने भी घने, आंखों से व्यर्थ बहाऊँ मैं संभाल श्याम प्यारे आ तुम, इनको इंसान बनाऊं मैं इंदु दर्द कितना सहे बता, रोऊँ या कि मुस्कराउँ मैं सारी दुनिया कहने को है, हकीकत कैसे दिखाऊँ मैं सीने में छिपा दर्द बाहर कैसे लाऊं मैं। सुरेश चौधरी 'इंदु' - 22 जनवरी 2021 ©सुरेश चौधरी आज का भजन #zindagikerang
आज का भजन #zindagikerang
read moreनागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
🌹रउरा संवार बानी शिव जी, गौरी गोर बाड़ी, रउरा से बेजोड़ बाड़ी ना। उ त चांद के अंजोरिया जैसन गोर बाड़ी, रउरा से बेजोड़ बड़ी ना। राजा हिमाचल के बाड़ी उ दुलारी, मैना माई के प्राण से प्यारी। सब गुण से भरल गौरी मोर बाड़ी, रउरा से बेजोड़ बाड़ी ना। बाली उमर बाड़े कोमल बदनवा , कइसे परबत पर रखिहें चरणवा। कोमल सुकुमार गौरी मोर बड़ी, रउरा से बेजोड़ बाड़ी ना। नारद मुनि जी के बात सच भईलें, पार्वती के वर शिव जी ही भईलें। अपना चांद के गौरी।चकोर बाड़ी, रउरा से बेजोड़ बाड़ी ना।🌹🙏 जय भोजपुरी, जय बिहार। नागेंद्र सिंह ©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।) # शिव जी का भजन
# शिव जी का भजन
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