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Dhiraj singh
''एक लडकी खुद ही से लडनी है'' बात आगे तभी बढ़नी है, एक लड़की खुद ही से लड़नी है!!(2) मन के डर को डर नहीं समझना अब,(2) तुम क्या हो दुनिया को बताना अब !! हाथ भले ही उठे तुम पर, तुम घबराना मत,(2) नारी शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है ये समझाना अब!! तेज ''में'' भी बोल सकती हूं यह दुनिया को बताना है,(2) लड़कियां कमजोर होती है उनके इस भ्रम को मिटाना है!! पर बात तो आगे तभी बढ़नी है, जब एक लड़की खुद ही से लड़नी है!! ✍ दृष्टि श्रीवास्तव दृष्टि की कलम से
दृष्टि की कलम से
read moreEk villain
भारतीय प्राच्य विद्या और परंपरा के लेखन विश्लेषण और अभिलेखीकरण ने जिन प्रमुख संसाधनों की गणना होती उनमें गोविंद चंद्र पांडे का बड़ा मुकाम है वह उस परंपरा के वाहक है जहां वेदिक दिव्य खानों को तुलनात्मक मृतक विज्ञान की तरह ही नहीं बल्कि तत्व एक जिज्ञासा की दृष्टि से भी परखा गया है ऐसे में उनकी उपस्थिति पंडित क्षेत्र संघ चौपाटी पीवी गण वासुदेव अग्रवाल भगवतशरण उपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराज विश्वविद्यालय वास मंत्री शास्त्री यादव सर जैसे देशों के बीच बनती है स्वाधीनता की वर्षगांठ के अवसर पर गोविंद चंद्र पांडे की वैदिक संस्कृति का प्रश्न बन जाता है जिसमें अपने प्रकाशन के बाद भारतीय आध्यात्मिक और सनातन चेतन के अध्यायों को सार्थक के साथ किया जाता है हमें मालूम है कि भारतीय परंपरा में वेतन आदि माने जाते हैं तब से लेकर शहर तक उनके बहुत सारा होने के कारण भी इतनी बहु रेल में संभव हुई है उनके कई बार सही समय होता है ऐसा शास्त्रों को पंडित जी किताब प्रतिपादित करते हैं देखने वाली बात यह है कि ऐतिहासिक और इसके साथ ही आदि की व्याख्या पर विचार किया गया ऐसे में दयानंद सरस्वती श्री अरविंद मसूद और झा आदि की सकेत बराक व्यक्तियों में भी सम्यक दृष्टि डाली गई 1 रन तक के सबसे महत्वपूर्ण योजना योजना आती है कि वैदिक संस्कृति की परिभाषा करने वाले शरद सत्यात्मा सूत्रों की विवेचना किस प्रकार से भारतीय सभ्यता के इतिहास में प्रकट हुई इस पर भी समग्रता में चिंतन हुआ है ©Ek villain पारंपरिक और आधुनिक दृष्टि से वेदों की व्याख्या #proposeday
पारंपरिक और आधुनिक दृष्टि से वेदों की व्याख्या #proposeday
read moreEk villain
जो लोग पुरुषार्थ से समस्या को हल करते हैं वही समस्याओं से बाहर निकल आते हैं सफलता प्राप्त करते हैं और विजेता कहलाते हैं ऐसे ही सकारात्मक सोच वाले कुछ भी संभव कर सकते हैं वही नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण प्रिय हम स्वयं के पुरुषार्थ के प्रति सादगी हो जाते हैं इसलिए आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा है कि पुरुषार्थ जीवन है और अकर्मण्यता मृत्यु प्रख्यात लेखक डब्ल्यू डी यू सो मच सेट माधव ने कहा कि जीवन के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि यदि आप सर्वश्रेष्ठ वस्तु से कुछ भी काम स्वीकार करने से इनकार करते हैं तो अक्सर आप अपने सर्वश्रेष्ठ को प्राप्त कर ही लेते हैं हमारी सफलता योग्यता की तुलना में दृष्टिकोण से कहीं अधिक निर्धारित होती है विजेता परिस्थितियों से संघर्ष कर कर ही उभरते हैं इन्हीं समस्या रूपी चुनौतियों का सामना करके उन्होंने सुलझने में जीवन का अर्थ छिपा हुआ है समस्या तो दुधारी तलवार होती है समस्या हमारे साथ हमारी बुद्धि को ललकार ती है वह हमारे भीतर साहस और बुद्धि का सर्जन भी करती है मनुष्य की तमाम पर अति उसकी समस्त उपलब्धियों के मूल में ही समस्या ही है यदि जीवन में समस्या नहीं हो तो शायद हमारा जीवन निराश ही नहीं है जड़ भी हो जाए प्रख्यात लेखक फ्रैंकलीन ने कहा था कि जो बात हम पीड़ा पहुंचाती है वही हमें सिखाती भी है इसी कारण समझदार लोग समस्याओं से डरते नहीं बल्कि उनमें से मुकाबला करते हैं बाबा आमटे ने लिखा भी है कि समस्या के आगे बढ़कर गले लगाइए उसे तरह चीज कोई भी जवाब मर्द बैल से डर कर भागता नहीं उस से लड़ता है ©Ek villain # सफलता की दृष्टि #jail
# सफलता की दृष्टि #jail
read moreMotivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 लोग आयु की दृष्टि से बड़े हो जाते हैं , पर चिंतन की दृष्टि से बालक , अविकसित ही बने रहते हैं !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 लोग आयु की दृष्टि से बड़े हो जाते हैं , पर चिंतन की दृष्टि से बालक , अविकसित ही बने रहते हैं !.i. j
#जीवन दर्शन 🌹 लोग आयु की दृष्टि से बड़े हो जाते हैं , पर चिंतन की दृष्टि से बालक , अविकसित ही बने रहते हैं !.i. j
read moreShravan Goud
जीवन की शुरुआत दैवीय शक्ति से हो परमात्मा की कृपा दृष्टि निरंतर बनी रहेगी। जीवन की शुरुआत दैवीय शक्ति से हो परमात्मा की कृपा दृष्टि निरंतर बनी रहेगी।
जीवन की शुरुआत दैवीय शक्ति से हो परमात्मा की कृपा दृष्टि निरंतर बनी रहेगी।
read moreAkash Das
#Spiritualteacher_santrampalji पराई स्त्री को माँ–बेटी–बहन की दृष्टि से देखना चाहिए।
#Spiritualteacher_santrampalji पराई स्त्री को माँ–बेटी–बहन की दृष्टि से देखना चाहिए।
read moreBiikrmjet Sing
सर्ब निधान जा की दृष्टि माहे।। पूर्ब लिखे का लहना पाहे।। अर्थ- सम्पूर्ण नाम की विधि जिससे मन का बन्धनों से छुटकारा होना है! जिस गुरमुख की दृष्टि में परमात्मा डालता है यानी जिस मनरुह की दृष्टि खोलता है परमात्मा, ओर यह नाम=परमेश्वर=प्रकाश को ध्याने की दृष्टि यानी वह गुर व योगिक कला नेत्रों से निराकार को देखने व निहारने की वही लेता है जिसकी पहले जन्मो में इतनी भगती व गोबिंद मिलन की तड़प हो, वही लहना यानी लेने वाला यानी ऐसे नाम को लेने वाला परमात्मा से गुरमुखों द्वारा बनता है।। ©Biikrmjet Sing #दृष्टि