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Ashok Mangal
चुनाव 2024 सभी राज्य सरकारों पर है लाखों करोड़ का कर्ज़ ! केंद्र सरकार पर दो लाख करोड़ से ज्यादा है कर्ज़ !! नेताओं की सोच है जनकोष से नोट बाँटो वोट लो ! जनचाहत है भीख की एवज़ काम देने की सोच हो !! राजनीति छींटाकशी के इर्द-गिर्द थिरक रही ! रोज़गार अवसर उपलब्ध करने में बिदक रही !! लंबित पुलिस सुधार व न्याय व्यवस्था सुधार की है दरकार ! शिक्षा व चिकित्सा क्षेत्र में बंद होनी चाहिये जारी लूटमार !! किफायती बिज़ली शुद्ध जल शुद्ध वायु तो दो जन जन को ! इतना भी न दो तो अपने वेतन भत्ते और पेंशन कम कर लो !! भोली भाली जनता को सब्जबाग दिखाना तुरन्त बंद करो ! कर सकों तो शुद्ध खाद्यान्न किफायती दर पर उपलब्ध करो !! कैंसर सी बीमारियां नाना प्रकार से घर घर में घर कर रही ! अफ़सोस किसी मंच से किसी नेता ने इसकी चर्चा ही न की !! तरुणाई को जुआ सिखाया जा रहा सरेआम नामचीनों द्वारा ! विज्ञापन रोक की बजाय नेताओं ने इनके चंदे में हाथ पसारा !! चरित्रहीनता व नशा अपराधों की ओर कर रहे अग्रसर ! देश के हालात आज़ादी में हो रहे गुलामी से भी बदतर !! राजनीति सरेआम नंगई पर उतर आई है ! सज़ा भुगत रहे बाबा के संग मंच पर नजर आई है !! जनता ने संगठन बना के नेताओं को आईना दिखाना होगा ! हर हाल में आज़ादी के चमन में जनहित फूल खिलाना होगा !! आवेश हिंदुस्तानी 06.11.2024 ©Ashok Mangal #politicians #political #AaveshVaani #JanMannKiBaat
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read more#Vjpant_safarnama
दहन तों नेता, भ्रष्टाचारी और बलात्कारी का भी होता हैं, तो इतना हो हल्ला रावण के दहन पर क्यूँ? ©#Vjpant_safarnama #Dussehra #rape #बलात्कार #Politics #political #vjpant #Vjpant_safarnama
Srinivas
In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong ©Srinivas In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong.
In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong.
read moreLotus banana (Arvind kela)
White बलात्कार रेप लड़कियों का ही नहीं पुरुषों का भी होता है कानून में कौन सी धारा आती है जिससे उन लड़कियों को भी दंडित किया जा सके ©Lotus banana (Arvind kela) # social justice
# social justice
read moreViraaj Sisodiya
Every inanimate being born on this earth is present in the direction and intensive continuity of deeds and is also trapped and afflicted by every physical phenomenon and its concupiscence resulting from its excluding and including consequences. It is a supreme belief and doctrine of the profound law of living mainstream. One day or another, every aliveful energy is destined to be liberated and contained in the nothingness of this entire universe by merging into some infinite divinity. This is not an improbable and unthinking verb; it is about the case of imposing materialism maturely. All this is possible in the absence or impendence of doings, but emancipation is implausible, unthinkable, and impracticable by turning away from all these or by self-reunification with attendance methods. No one can achieve perfection at all in this. ©Viraaj Sisodiya #Deeds #Consequences #Energy #Emancipation #Lives #YourQuote #Viraaj