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Stories related to द्वार गेट के डिजाइन

हेयर स्टाइल by mv

Parasram Arora

पुनुरुक्तियों के द्वार

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ये कैसा माया जाल बुन रखाहै तुमनेऔर खुद  भी
उसी जाल  मे फंस कर जीने के लिए हाथ पैर मार रहे हो? तोड़ क्यो नहीं देते इस माया जाल क़ो?
औरआखिर कब तक ऐसे ही जीते रहोगे?
पहचानते क्यो नहीं अपनी इस  हठीली आदत..क़ो .. lतुम्हे शायद अंधेरों से मुहब्बत हो गई है
पर अच्छी नहीं ये आदत तुम्हारी सेहत के लिए
कल भी अंधेरों मे जिए थे आज भी अंधेरों मे जी
रहे हो
रोज वही दोहरा रहे रोज पुनुरुक्तियों के द्वार
खटखटा रहे हो

©Parasram Arora पुनुरुक्तियों के द्वार

हेयर स्टाइल by mv

#बेहतरीन डिजाइन#

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हेयर स्टाइल by mv

#गुच्छा डिजाइन#

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हेयर स्टाइल by mv

#मंगलसूत्र डिजाइन#

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आर बी एम

डिजाइन #lonely

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हेयर स्टाइल by mv

#बृजबाला डिजाइन#

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बी एल सोनी

#चल भोले के द्वार#

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Ratan Singh Champawat

दृग के द्वार से

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आज कुछ स्पंदन...
❤❤❤❤❤
माना कि एक कतरा भर हूं मैं ....
किंतु मेरा अस्तित्व गहरा है सातों समंदरों से भी यह सारे.नदियां ,तालाब ,झीलें, महासागर ..सब के सब बने हैं मुझ ही से तो 
समाए हैं.यह सब मुझे ही में 
और एक दिन फिर से..
सिमट आएंगे मुझ ही में यह सब... 
एक अनछुई रुहानियत हूँ मैं.. 
अनकही व्यथा कथा की अभिव्यंजना हूँ..मैं स्वानुभूत पीड़ा का साक्षात्कार हूं ..मैं पवित्र..पावन..पुनीत हूं..
तभी तो सूरज भी मुझे छूकर झिलमिला उठता है..इंद्रधनुषी सतरंगी आभा से
चिर मुक्त हूं मैं ..सारे तटों ,कूलों,साहिलों की परिभाषाएं कभी बांध न सकी मुझको किसी सीमा मे.. मैं समाया हूं...बस अपने ही आकार में..निराकार हो कर.. 
सृजना भी मेरी..मैंने ही की है
इसीलिए तो मैं..विस्तृत हूं..समस्त विस्तार से परे तक !
किंतु मेरे दोस्त 
विडंबना यही है कि.
तुम सागर की हदों में ही उलझे रहे...मुग्ध रहे..किनारों की कशमकश तक ही..
जकड़े रहे..तुच्छता के मोहपाश में..
असीम की अनकही अनुभूति का आकर्षण
लय में विलय..लीन में विलीन..
हो जाने का आनंद 
वंचित रहे इन सब से तुम  
मात्र कुछ प्रवंचनाओं के कारण
और मुझे अफसोस है मेरे दोस्त
कि तेरी दृग देहरी पर 
मैं कब तक ठहरता  
लो मैं तो चला 
फिर अपने उसी निरपेक्ष पटाक्षेप की ओर 
मगर जा रहा हूं छोड़कर कुछ स्पन्दन अपने जो देते रहेंगे दस्तक
तुम्हारे दिल की देहरी पर अक्सर..
 दृग के द्वार से

funny shorts

घर में कूच के लिए कुछ ऐसी डिजाइन

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