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Satvshila
स्वप्नांची नाव शेवटी स्वप्नांची ती नाव बुडून गेली, पाखरांच्या स्वप्नांना तडा देऊन गेली , स्वप्न तुटल्याने ती दोन पाखरे तडफडत होती, आता कधी जीव निघून जातो ह्याकडे नजर लागली होती ©Satvshila Sayali Mane #स्वप्नांची नाव
#स्वप्नांची नाव
read moreJaymala Bharkade
# वेचताना स्वप्नांची तारे... जीवनाच्या गुंत्यात या काळ गेला माझा विरून वेचताना स्वप्नांची तारे धडपडत राहीले पाखरू भुकेच्या आशेने झेप घेती पाखरे येता वादळे जोडले अभाळाशी नाते वेचताना स्वप्नांची तारे धडपडत राहीले पाखरू मझियातला मी शोधताना वाळवंट झाले रान हे वेचताना स्वप्नांची तारे धडपडत राहीले पाखरू जगण्याचं अर्थ न दावे मजला शोधात मी आता आनंदाच्या वाटा वेचताना स्वप्नांची तारे धडपडत राहीले पाखरू ©Jaymala Bharkade # वेचताना स्वप्नांची तारे...❣️
# वेचताना स्वप्नांची तारे...❣️
read morebina singh
मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh #devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश
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read moreNC
White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल किताबी बातें काम न आईं फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई सच्चाई एक अकेले कोने में रोई यहां किताबों का न होता अमल यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।। ©NC #Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता
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read moreAwanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
कविता कविता
read moreKishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Vikram Kumar Anujaya
White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya #moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता
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read moreअल्पेश सोलकर
पहाटे आधीच जाग सोसलेला त्रास आठवून देते.. आणि पहाट शांत झोप स्वप्नांची आस दाखवून देते.. पहाटे आधीच जाग सोसलेला त्रास आठवून देते.. आणि पहाट शांत झोप स्वप्नांची आस दाखवून देते..
पहाटे आधीच जाग सोसलेला त्रास आठवून देते.. आणि पहाट शांत झोप स्वप्नांची आस दाखवून देते..
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