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Vivek
तुम हो बेहद आकर्षक मृगनयनी तुम ही हो मन की गूँज की रागिनी शरद पूर्णिमा का चाँद भी तुम हो तुम ही हो ताल में पल्ल्वित मृणालिनी आकाशगंगा से जो उतर आयी धरा पर तुम हो वो मोहक मंदाकिनी शहद भी तुम - तुम ही हो इमली तुम ही हो मनभावन मृदुभाषिणी ...!!! ©Vivek #मृगनयनी
Abhishek Mishra
आपको देखा तो देखता ही रह गया, इस नेत्र के वार को सहता ही रह गया । अब तो रोक दीजिये इन नेत्रों के वार को, दिल सहन नही पायेगा आपके हर वार को।। मृगनयनी
मृगनयनी
read moreNONNY
सवेरे से लेके रात होने तक,मैं जिसे सोचता रहता था,, कोई पूछता है तो सोचता हूँ,वो कौन थी कैसी दिखती थी,, कौन थी।
कौन थी।
read moreAbhishek Mishra
इन नैनन को देखते ही देखता रह जाता हूँ, इस नयन के जाल में फसता चला जाता हूँ। उस मृगनयनी को देखे बिना रह न पता हूँ, दूर रह कर भी पास खींचा चला आता हूँ।। मृगनयनी😍
मृगनयनी😍
read moreबी एल सोनी
#बे मेल प्यार # बनके लहू नस नस में समाती चली गई । नैनो में सुनहरे ख्वाब सजाती चली गई । मैं खोया था प्यार में उसके कुछ इस तरह, वो मेरे अरमानों को और बढ़ाती चली गई । वो कौन थी । आई वो मेरे जीवन में बहार की तरह । सावन की किसी ठंडी फुहार की तरह। जाते ही ले गई वो सब कुछ समेट कर, ,भारत,हुआ तनहा किसी शिकार की तरह। वो कौन थी । जय हिंद । ©Bharat Lal Soni # वो कौन थी #
# वो कौन थी #
read morePhool Romio
सब रोए उसकी मौत पर बस एक इस रोमियो को छोड़कर फिर क्या था इतनी सी बात पर मुझे कातिल समझ लिया गया ©Phool Romio वो कौन थी?
वो कौन थी? #Shayari
read moreJack Sparrow
कहा हो कैसे हो कुछ तो जवाब दो कई सालोंसे कोई खबर नही तुम्हारी पहले मिल जाते थे बाजारमे कीसी चुडीयोंकी या हलवाईकी दुकानमे कभी दिख जाती थी काॕलेजकी सहेलीयोंमे सिग्नलपे रास्ता पार करते हुए कभी चाट के ठेलेपे,चाट खाते हुए काॕलेज कँपसमे वक्त बिताते हुए दिख जाया करती थी कभी,अपनीही दरवाजेकी चौखटमे सुखे पत्तोंको झाडती आँगनमे,दिख जाया करती कभी सहेली संग पनघट जाते हुए,आते हुए, कभी किसीकी शादी जलसे मे,कभी गलीने रखे जश्न मे नाचती,खेलती,हसती मुस्कुराती दिख जाया करती थी अक्सर वो बाईकपे सवार यहा वहा,बेमतलब पेट्रोल जलाती घुमती अब नजर नही आती कही भी मै हर वो जगह हो आता हु,जहा तुम्हारे होनेकी उम्मीद हो सारे शहरभर घुमता हु के एक नजर हो पुछ बैठा हु सहेलीयोंसे पता ठिकाना,वो चौकके देखती है शक्ल मेरी वास्ता देकर टालती है,कहती है गई है मेरी अक्ल मारी सब छाना,सब टटोला सब कुछ ढुँढा पर कुछ नही,जैसे तुम कभी थी ही नही लोगोंने कहा,की ये सब मेरा वहम था,ऐसी कोई थी ये मेरा भरम था अगर भरम था तो बताओ वो बाजारमे,चुडीकी दुकानमे उस सिग्नलपे,चाटके ठेलेपे काॕलेज कँपसमे,घर आँगनमे वो दरवाजेकी चौखटपे खडी सुखे पत्ते झाडती,हसती-मुस्कुराती कौन थी...? Ct.JackOcean ©Jack Sparrow #कौन थी#whowasher?