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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी कभी गलत नहीं होती, हमारे कर्म ही गलत होते हैं, कर्म सुधार लो, जिंदगी अपने आप सुधर ने लग जायेगी। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी कभी गलत नहीं होती, हमारे कर्म ही गलत होते हैं, कर्म सुधार लो, जिंदगी अपने आप सुधर ने लग जायेगी
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} जिंदगी कभी गलत नहीं होती, हमारे कर्म ही गलत होते हैं, कर्म सुधार लो, जिंदगी अपने आप सुधर ने लग जायेगी
read moreMiMi Flix
"चतुर बंदर और गहनों का चोर – बंदर और शेर, हिंदी बच्चों की नैतिक शिक्षा कहानी" - एक घने जंगल में, चतुर बंदर बंटी की एक गलती से अजीब परिवर्तन
read moreAk.writer_2.0
White प्रेम वो नहीं जो एक गलती पर साथ छोड़ दे, प्रेम वो जो सौ गलती को सुधार कर , जिंदगी भर साथ दे..!! ...🥀💔🥺... ©Ak.writer_2.0 #moon_day प्रेम वो नहीं जो एक गलती पर साथ छोड़ दे प्रेम वो जो सौ गलती को सुधार कर जिंदगी भर साथ दे..!! Andy Mann Surbhi Awasthi Kshitija
#moon_day प्रेम वो नहीं जो एक गलती पर साथ छोड़ दे प्रेम वो जो सौ गलती को सुधार कर जिंदगी भर साथ दे..!! Andy Mann Surbhi Awasthi Kshitija
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में , इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष
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