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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे में यार फंस जाता हूं तेरी महफिल में आके अपनी चाहत के किस्से सबको सुनाता हूं ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
#love_shayari #कभी खामोश रहता हूं कभी में गुनगुनाता हूं तेरी चाहत के समंदर में हमेशा में डूब जाता हूं में बदनसीब हूं तेरी चाहत के नशे मे
read moreMahesh Patel
White सहेली..... बोल उठी... वह रहे मोन.. आंखें उनकी बोल उठी.. वह हमारे थे कौन.. दिल की धड़कन बोल उठी.. फूल खिल गए.. तो कलियां बोल उठी.. हम गए दूर.. तो सहेली बोल उठी.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली..बोल उठी.. लाला..
सहेली..बोल उठी.. लाला..
read moreUrmeela Raikwar (parihar)
White तुम जबसे संग हो मैरे, दिये जल उठें चारो और,, by Urmee ki Dairy ©Urmeela Raikwar (parihar) #diwali_wishes दिये जल उठें
#diwali_wishes दिये जल उठें
read moreDeepak Kumar 'Deep'
तुम हवा की तरह छू कर गुज़री मुझे मैं लड़खड़ाता रहा किसी शमा की तरह ©Deepak Kumar 'Deep' #candle(शमा)
#candle(शमा)
read moreRudradeep
White सच्चाइयों से मुंह मोड़ना गवारा नहीं है हमें जीने के लिए फिर भी बहाना सीखा है जिस महफ़िल में मिलती हैं सदा तन्हाईयां उस महफ़िल से भी दिल को लगाना सीखा है ©Rudradeep #महफिल #हम #तन्हाई
Bate Gyan ki
White दूसरा विश्व युद्ध लगता है पानी के लिए होगा पानी की इतनी बर्बादी हो रही है आने वाले समय में पानी के लिये लोग तरसेंगे हर तरफ लड़ाई हो रही होंगी लोग एक दूसरे को पानी के लिए मारेंगे ©Naushad Shamsi motivation जल ही जीवन है ...
जल ही जीवन है ...
read morePoet Maddy
महफिल में बैठकर वो हमको इशारा करते हैं, बाज़ार में हमको पीछे से वो पुकारा करते हैं......... हमको ये समझ नहीं आता यारों कि वो कैसे, हमारी गैर-मौजूदगी में अपना गुज़ारा करते हैं........ ©Poet Maddy महफिल में बैठकर वो हमको इशारा करते हैं, बाज़ार में हमको पीछे से वो पुकारा करते हैं......... #Sit#Gathering#Signal#Market#Friends#Happen#Live#
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White में मोबाइल का शायर हुं यारो मुझको तुम आशिक बीमार न समझना यारो में तो यूं ही मुफालिशी में लिखता हूं शायरी ये पैगाम मोहब्बत ना समझ लेना यारो में गुमनाम हुं शायद मुझको महफिल की जान न समझ लेना यारो ©Poet Kuldeep Singh Ruhela में मोबाइल का शायर हुं यारो मुझको तुम आशिक बीमार न समझना यारो में तो यूं ही मुफालिशी में लिखता हूं शायरी ये पैगाम मोहब्बत ना समझ लेना
में मोबाइल का शायर हुं यारो मुझको तुम आशिक बीमार न समझना यारो में तो यूं ही मुफालिशी में लिखता हूं शायरी ये पैगाम मोहब्बत ना समझ लेना
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