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Amit Singhal "Aseemit"
ऊंचाई पर पहुंचना है ज़ूद, मगर तुम्हारा गुरूर खो गया, खुन्नस में तुमसे दूसरों पर कीचड़ डालना शुरू हो गया। संभल जाओ अभी भी देर नहीं हुई है आत्मचिंतन करो, तुमसे जो ख़ता हुई है, उस पर ख़ामोशी से मंथन करो। ©Amit Singhal "Aseemit" #ऊंचाई #पर #पहुंचना #है
Umesh Dhanker
माना कि ऊंचाई पर चढ़ना कठिन होता है लेकिन ऊपर से. नजारा भी अलग होता है. ©Umesh Dhanker माना कि ऊंचाई पर
माना कि ऊंचाई पर
read moreROYAL STATUS
"हम उस' ऊंचाई पर है जहाँ तुम्हारे सर से ज्यादा ऊंचाई पर हमारे. पाव रहते है"
"हम उस' ऊंचाई पर है जहाँ तुम्हारे सर से ज्यादा ऊंचाई पर हमारे. पाव रहते है"
read moreNE Changeharwala
मोदी जी ने सुप्रीम कोर्ट को इतना व्यस्त कर दिया कि इस बार जन्माष्टमी को दहिं हांडी कितनी ऊंचाई पर रखी जाए ए बताना ही भूल गया 🤔 दहिं हांडी कितनी ऊंचाई पर रखी जाए
दहिं हांडी कितनी ऊंचाई पर रखी जाए
read moreInternet Jockey
ऊंचाई पर जितनी खामोशी है उतनी तन्हाई भी ऊंचाई पर जितनी खामोशी है उतनी तन्हाई भी
ऊंचाई पर जितनी खामोशी है उतनी तन्हाई भी
read moreSK Poetic
आज हम सभी 21 वीं सदी में जी रहे हैं, आज के युग में अगर हम देखें तो आज के युग में हमारी शिक्षा व्यवस्था कहां जा रही है? आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य क्या रह गया है ?क्या आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान अर्जित करना है या नौकरी पाना है? अधिकांश लोग मेरे इस सवाल का जवाब देते हुए कहेंगे कि आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान पाना है।परंतु वह सभी लोग झूठ बोल रहे हैं। बल्कि आज के युग में शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ नौकरी हासिल करना रह गया है ।आज के युग में अगर देखा जाए तो मां -बाप अपने बच्चों को ज्ञान हासिल करने के लिए स्कूल नहीं भेजते हैं।बल्कि उनके बच्चे भविष्य में अच्छी नौकरी करेंगे इसलिए स्कूल भेजते हैं।आज के युग में अगर देखा जाए तो आज के युग के बच्चों से पूछा जाने वाला पहला और आखिरी सवाल यही होता है कि- तुम क्या बनना चाहते हो?अगर देखा जाए तो हमारे देश में बच्चों से सबसे अधिक पूछे जाने वाला सवाल यही है। जिन बच्चों ने अभी ठीक से चलना तक नहीं सीखा है,जिन्हें अक्षरों तक का ज्ञान नहीं है,जिन्हें स्कूलों के बारे में पता तक नहीं है।उस बच्चे के दिल और दिमाग में यह सवाल डाल दिया जाता है।सिर्फ इतना ही नहीं उन बच्चों को तोते की तरह यह रटा दिया जाता है कि अगर कोई पूछे कि तुम क्या बनोगे तो तुम जवाब देना- डॉक्टर या इंजीनियर। जो बच्चा अपनी जिंदगी का फैसला खुद नहीं कर सकता भविष्य में कितना सफल होगा यह आप अंदाज लगा लीजिए। वह बच्चा जो भी फैसला लेगा जो भी सपने देखे वह सब उसके अपने नहीं होंगे।इसलिए उसके फैसले और सपनों में हमेशा उदासी छाई रहेगी। आज के दौर में हम अपने बच्चों को एक ऐसा मशीन बना रहे हैं जो कि खुद की बदौलत नहीं बल्कि दूसरों के इशारों पर चले।जिस प्रकार से कोई मशीन अगर किसी व्यक्ति के पास होती है तो वो जैसे चाहता है वैसे ही उस मशीन को ऑपरेट करता है।ठीक वैसे आजकल के बच्चे हो गए हैं।अगर दूसरी भाषा में कहा जाए तो आजकल के माता-पिता अपने बच्चों को एक घर की तरह बना दिया है।जिसको कि वह जब चाहे तब किराए पर लगा दे और किराएदार से कहे ये बिल्कुल आप के हिसाब से बनवाया है।आप जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। आजकल के माता-पिता को देखे तो ऐसा लगता है जैसे कि वह एक प्रॉपर्टी ब्रोकर बनते जा रहे हैं और यह ब्रोकरशिप धीरे-धीरे हमारी आत्मा में प्रवेश कर गई है।हम सभी तरह के कार्यों में मुनाफे की आदत को पाले हुए हैं।आजकल के माता-पिता को अगर अपने बच्चों का एजेंट कहे तो गलत नहीं होगा।हमें यह समझ ही नहीं आ रहा है कि जिंदगी में कुछ भी आसान नहीं है,ठीक वैसे ही जैसे कुछ भी मुश्किल नहीं है।हर सपना मुश्किल हो या फिर आसान दोनों बस इससे तय होता है कि उसमें बच्चों की अपनी इच्छा शक्ति कितनी शामिल है।आजकल के माता-पिता जिंदगी को पाइथागोरस की थ्योरी मानते हैं जिसमें सारे बच्चे एक ही फार्मूले से जीवन को सोल्व ( हल )कर ले और ना भी कर पाए तो 'हेंस प्रोव्ड' लिख दे।जिंदगी किसी फार्मूले से नहीं चलती,वह केवल अनुभव के आंच पर निखारी जा सकती है।जीवन एक यात्रा है।इसमें सब कुछ वैसा ही है जैसे दूसरी यात्राओं में होता है। हम जिंदगी को जितना ज्यादा एक्सपोजर देंगे,वह बदले में हमें उतना ही अधिक लौटएगी।उदासी और दुख जिंदगी के रास्ते में आएंगे लेकिन उन्हें पूरी ताकत से 'नो'कहते हुए आगे बढ़ना है। अंत में कहना चाहूंगा कि बच्चों के पंख को बाज की तरह मजबूत करने में उनकी मदद कीजिए और उन्हें उसी आसमां व उसी ऊंचाई पर उड़ने दीजिए जिस उचाई पर वो उड़ना चाहे।उनके लिए एक सुरक्षित संसार बनाने की चाह में उन उसके जीवन पर मुसीबत का पहाड़ खड़ा मत कीजिए। ©S Talks with Shubham Kumar बच्चों को उस ऊंचाई पर उड़ने दीजिए जिस पर वह उड़ना चाहे #Red
बच्चों को उस ऊंचाई पर उड़ने दीजिए जिस पर वह उड़ना चाहे #Red
read moreShravan Goud
इंसान अकेला ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता, किसी न किसी का हाथ होता है। इंसान अकेला ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता, किसी न किसी का हाथ होता है।
इंसान अकेला ऊंचाई पर नहीं पहुंच सकता, किसी न किसी का हाथ होता है।
read moreSmart boy
जिस _नज़र से आप #दुनिया को #देखेंगे तो, ये #दुनिया आपको भी #वैसा ही _देखेगी !! Smart boy अकड़ #तोड़नी है, उन #मंजिलों की, जिनको अपनी #ऊंचाई पर #गरूर है..!!