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- Arun Aarya
इतनी बड़ी गुस्ताखी कैसे करें , मोहब्बत में हम चालाकी कैसे करें ! तुम्हें मान चुके हैं हमसफ़र अपना ,, तो अब घर के पसंद से शादी कैसे करें..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya #heartout #कैसे करें
mehar
White तुझे एक दिन मुझ से दूर होने का मलाल होगा की कोई था जो मुझे, मुझ से बेहतर जनता था। सब कहते थे कि बहुत शांत हु मैं। की कोई था ,जो मेरे अंदर के शोर को जनता था। यू तो सब का साथ था ,मतलब के लिए की कोई था जो, मुझे बेमतलब चाहता था। ©mehar कोई था
कोई था
read moreहिमांशु Kulshreshtha
कैसे सँवार लूं आज फ़िर अपने लम्हों को मैं, महज़ तसव्वुर करते ही तुम्हारे साथ गुज़रा हर मंज़र याद आता है…!!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha कैसे...
कैसे...
read moremanshisingh@gmail.com
उसने कहाँ था ज़िंदगी भर खुश रखूँगा क्या पता था वही मेरे उदासियों की वजह बन जाएगा ©manshisingh@gmail.com उसने कहाँ था ज़िंदगी भी साथ निभायेगे
उसने कहाँ था ज़िंदगी भी साथ निभायेगे
read moreHeer
White उलझने बहुत है सुलझाए कैसे...? तुम पास नहीं तुम्हे बताए कैसे...? सवालों के उठ रहे तूफान...तुम ही बताओ जवाब मांगे किससे? ©Heer उलझने सुलझाए कैसे??
उलझने सुलझाए कैसे??
read moreParasram Arora
White खुदा और ईश्वर के नाम पर. कितने खून खराबे हुए और कितने उनके मुरीद और भगत नारे गाये उन्हें कैसे गिना जाए क्योंकि मरने के बाद कैसे पता लगे कौनसी लाश किस मजहब किस धर्म की थी और उन्हें किस आधार पर अलग अलग़ रखा जाय ©Parasram Arora कैसे गिना जाय?
कैसे गिना जाय?
read moreHeer
भाव बिना बाजार में तू मिले, न मोल बिना भाव हरी कैसे मिले, जो है अनमोल। अनमोल जगत में।। ©Heer हरी कैसे मिले!
हरी कैसे मिले!
read moreF M POETRY
White कैसे गुज़री है शब तू क्या जाने.. हिज़्र तेरा क़हर सा लगता है.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #कैसे गुज़री है शब
#कैसे गुज़री है शब
read moreNitu Singh जज़्बातदिलके
White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं अभिलाषाएं उसे फसल की ओर चींखने लगा जोर जोर से निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा नीरस पुष्प ही पाया था उसने काश! झांक पाता सहस्त्रों बार किये उन वादों की ओर जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने ©Nitu Singh जज़्बातदिलके जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
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