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POONAM SHARMA
मर्द क्यूँ रोए नही जब दर्द एक है तो क्यू आंखे बिगोये नही बचपन से सिखाया बेटा तू मर्द है रोना नही सीना मर्द का क्या जुदा भगवान ने बनाया है आखिर क्यूं ना रोए जब दर्द जुदा ना बनाया मर्द क्यू रोए नही हालातों पर रोना मर्द को भी आया खुद के फर्ज के पीछे हर दर्द छिपाया मजबुर हो कर भी हर फर्ज निभाया तू मर्द है तुझे रोना नही तू कमजोर नही तू फोलद है औरत जैसा आंखे बिगोना नही क्यू मर्द नही रोए जब दर्द है एक क्यू आंखे नही बिगोये जज्वात है तो जाहिर क्यू ना करे दिखावे भरी इस दुनिया मै पल पल मरे क्यूँ मर्द नही रोए चुप रहे ओर सब सहन करे पल पल घुटे फिर भी खुद मै खोये क्यूँ मर्द नही रोए नही ©POONAM SHARMA #मर्द
पूर्वार्थ
"मर्द" ये आंसुओ से...अपनी पलकें भिगोते नहीं, ये घुटते तो हैं, पर खुलकर कभी रोते नहीं। इनके आंसू बस अदृश्य होकर ही बहते हैं, इसीलिए तो दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। किस मिट्टी से बने हैं?क्या इन्हें दर्द होता है! ऐसा नहीं कि...मर्द को कभी दर्द नहीं होता, जी हाँ...होता है, मगर...ये चुपचाप सहते हैं, इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। औरत तो....नाज़ुक है, कोमल है, निर्मल है, कभी कभी कठोर, तो कभी सहज रहती है। ये मर्द हमेशा शक्तिशाली और निडर रहते हैं, इसीलिए तो.. दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। इन्हें पता है, इनके पास कोई विकल्प नहीं, इन्हें तो हर वक़्त, बस बहादुर ही दिखना है, आखिर मर्द है, सबका का खयाल रखना है। हौसला बनकर, परिवार के साथ में रहते हैं, इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। अंदर से चाहे जैसे भी हों, सिमटे या बिखरे, मगर इन्हें बाहर से सख्त ही रहना पड़ता है, परिस्थिति चाहे....जैसी भी हो....जो भी हो, हां मैं ठीक हूँ, हर बार यही कहना पड़ता है। अपने अंदर न जाने क्या क्या छुपाए रहते हैं, इसीलिए तो...दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। अपने अंदर के इंसान को ये भूलकर रहते हैं, बीवी, माँ, बच्चे, रिश्तेदार....संजोय रखते हैं, सबके बीच.... ये बस मर्द बनकर ही रहते हैं, इसीलिए तो....दुनियावाले इन्हें मर्द कहते हैं। ©पूर्वार्थ #मर्द
pratibha
मर्द होते हैं आसमान की तरह जिनके साये तले महफूज रहती है इक छोटी सी दुनिया जो समेट लेते हैं बच्चों को बाहों में जैसे स्याह रात में आसमान समेट लेता है तारे उन्हें देखकर खिल उठता है स्त्री का चेहरा चांद की तरह मर्द जानते हैं कि उनके रोने से बिखर जाएगी ये दुनिया मर्द हैं आसमान और आसमान नहीं बरसा करते ©pratibha #मर्द