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Rakesh frnds4ever
White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई नहीं है जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए भोग रहा है कोई क्या क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई तुमको कैसे/ क्या दिखलाए कोई कितना टूट चुका है कोई कितना लुट चुका है डूब चुका है कोई कितना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तुमको कोई क्या दिखलाए कोई रोता है कोई हंसता है कोई पाता है कोई खोता है धन दौलत की बात नहीं है मनुष्य की हर जात बुरी है कोई नहीं है अपना नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यहां नहीं है कहीं नहीं है ,,,,,,,,,,,, २ ,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्
#कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्
read moreरघुराम
White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे। मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।। परचम आजादी का कहॉ लगाए हम। यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।। सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके। अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।। हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर। क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।। ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे। स्वरचित। ©रघुराम #love_qoutes जीवन उत्सव
#love_qoutes जीवन उत्सव
read moreShashi Bhushan Mishra
कोई तो है जो सुन लेता है, सीप से मोती चुन लेता है, बेशक वो इन्कार न करता, मन ही मन में गुन लेता है, अपनी ही शर्तों पर चलकर, ख़ुद कपास को धुन लेता है, जीत गया जीवन की बाजी, खेत में भुट्टा भुन लेता है, भाग्य भरोसे नहीं बैठकर, फटी चादरें बुन लेता है, कठिनाई में बनकर रहबर, देकर दुआ सगुन लेता है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #कोई तो है जो#
#कोई तो है जो#
read moreRavinder Kumar
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....! @motivate_line ©Ravinder Kumar #Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
#Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
read moreAshok Verma "Hamdard"
White कोई ना मिले जिंदगी में, फिर भी जिंदगी जी लेना, तन्हाई के साये में भी, खुशियों को तुम पी लेना। राहें भले हो वीरान, दिल में दर्द लेकर , फटे दामन को भी, बड़े प्यार से सी लेना। खुद से कभी न हारना, जिंदगी की राहों में, तन्हाई में कटे ज़िंदगी, फिर भी, न कभी शराब पी लेना। दर्द में भी मुस्कुराओ, जीना है तो यूँ जी लेना, चाहे हो मुश्किल हालात, पर इरादों को सदा दिखा देना। जिंदगी का सफर है लंबा, संघर्षों में भी रंग भर लेना, कोई ना मिले जिंदगी में, फिर भी, हौसला बना लेना। अशोक वर्मा "हमदर्द" ©Ashok Verma "Hamdard" कोई ना मिले जिंदगी में फिर भी 'दर्द भरी शायरी'
कोई ना मिले जिंदगी में फिर भी 'दर्द भरी शायरी'
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही रिश्ते का फिर भी रिश्तों को निभाता है कोई इस तरह चाहता अब है मुझको सारी दुनिया को बताता है कोई सारे इल्ज़ाम हमारे लेकर मुझको बेदाग़ बताता है कोई हो न जाऊँ खुशी से मैं पागल जान ऐसे भी लुटाता है कोई अब तो रहता नशें में हूँ हरपल ज़ाम आँखों से पिलाता है कोई रात कटती न प्रखर करवट में याद ऐसे मुझे आता है कोई महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही
ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही
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