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विजय I.Love you.ई लव यू
my sofa repairing.म्य् सोफा रेपैरिङ्ग् ©Mr vijay my सोफा रिपेयरिंग
my सोफा रिपेयरिंग
read moreManoj Bhatt
(हिन्दी का उद्भव और विकास) हिंदी से मैं पढ़ा लिखा हिंदी की बात बताता हूं, हिंदी है मां मेरी में उसकी गाथा गाता हूं। संस्कृत है जननी उसकी उर्दू कि वो बहन बनी, पांचों को फिर गोद लिया ना जाने कितनों का रूप बनी। तुलसी का वो मानस है सुर-मीरा का गीत बनी, वीरों का वो रासो है जन-जन का संगीत बनी। अ अज्ञानी से शुरू हुई ज्ञ ज्ञानी बना कर छोड़ा है, ऐसी है वो मां हिंदी जिसने सबका दिल जोड़ा है। ऐसी हिंदी की गाथा कैसे तुम्हें बताऊं मैं, चंद शब्दों में कैद कर महिमा कैसे गाऊ में ।। (m.bhatt) ©Manoj Bhatt #हिंदी का विकास
#हिंदी का विकास
read moreU shivan rajauria
हिंदी दिवस की शुरुआत कैसे हुई? हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में भारत के प्रधानमंत्री पद पर पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit jawaharlal nehru) ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से हर साल इस दिन को नेशनल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. ©U shivan rajauria #Hindidiwas हिंदी का प्रारम्भ
#Hindidiwas हिंदी का प्रारम्भ
read moreAmit Singhal "Aseemit"
हिंदी साहित्यिक मंचों का बहुत वृहत है यह संसार, मंचों के सब रचनाकारों का बन गया है एक परिवार। बहुत गुणी और भांति भांति के रचनाकारों से है भरा, जैसे विभिन्न प्रकार के वृक्षों से भरी है हमारी यह धरा। ©Amit Singhal "Aseemit" #हिंदी #साहित्यिक #मंचों #का
Bambhu Kumar (बम्भू)
नेता और उनके पालतू बेटो ने आपके दिमाग के साथ खेलने का काम शुरू कर रखा है। डिजिटल युग में यह भी एक दौर है जब आपके दिमाग में डिजिटल माध्यमों से कूड़ा भरा जा रहा है। अपने दिमाग को कूड़ेदान होने से बचाएं किताबें पढ़ें सही जानकारीे लें सतर्क रहें जागरूक रहें जय हिंद जय हिंदी हिंद का मतलब हिंदुस्तान हिंदी का मतलब हिंदुस्तानी #जय #हिंदी #जय #हिंद
Aashutosh Aman.
# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&& क्या योग्यता क्या इक्षाशक्ति और महत्व आकांछा क्या है। किसी सफल मंच के आगे निर्धन निरीह साँचा क्या है।। कैसी शिक्षा कैसा शिक्षित कैसा ज्ञानी विद्वान है वो। जो छोटे छोटा कर दे वो ज्ञान नहीँ अभिमान है वो।। हर सफल चापलूसी चाहे धन वैभव का समान करे। निर्धन निरीह योग्यता के संग बस छल कपट औरअभिमान करे। जो झुक जाए शालीन रहे हर शक्ति उसको छलती है।। धन के आगे अयोग्यता भी गंगाजल बन कर बहती है।। ज्ञान शील एकता भी केवल कहने भर दिखती है। समृद्धिऔर सफलता के संमुख न कहीं कभी भी टिकती है।। हम जिसको इक्षा शक्ति कहते कब कौन पूछता है उसको। श्रीमान सफलता के आगे इक्षा शक्ति भी बिकती है।। मुझको आती है हसी बहुत उनको उपदेशक देखूं तो। धनवान है जो पर योग्य नहीं और चोरी करते रहते है। अज्ञानी विद्वान बने और ज्ञान मांगता भीख मिले। करते उपहास योग्यता से महुँ जोरी करते रहते हैं।। सच कहा किसी ने बुरा लगा उसको असभ्य कह देते हैं। सभ्यता धरी रह जाती है जब संग असभ्य को लेते हैं।। अपना सम्मान तो चाहेंगे पर औरों का सम्मान नहीं। सब सम्मान चाहते हैं इस इनको संज्ञान नही।। संकुचित हृदय हो जाता है जिसको भी सफलता मिल जाए। मैं तो असफल ही अच्छा हूँ ना करूँ सहूँ अपमान कहीं।। आशुतोष अमन🙏🙏🙏🙏🙏 ©Aashutosh Aman. # हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&&
# हिंदी साहित्य# हिंदी कविता आज का ज्ञान आज का मंच। जय🙏🙏 ______&&&&&&&&&&&
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