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nisha Kharatshinde
मुके जाहले शब्द मुके जाहले शब्द वेदनेतून उमललेले गवसले नाही काहीही तरीही शिंपीत सडा गेले मौनाची ती पंक्ती दुसरा गुंता भावनेचा शल्य गवसले त्रीपंक्तीत चौथीत काहूर मनाचा अबोला हा कल्पनेचा की दडलेला समझोता शपथबद्ध भासले जणू दाटला गूढ अर्थ होता ✍️ निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde मुके जाहले शब्द
मुके जाहले शब्द
read moreRam Prakash
White शब्द शब्द वाणों से हृदय और न भेदे कोई निर्णीत मामलों को अबसे और न कुरेदे कोई ©Ram Prakash #good_night शब्द शब्द
#good_night शब्द शब्द
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White एक दिन जो कभी गुजार पाऊँ तुम्हारे साथ.. किसी झील के करीब दूर से आता देख तुम्हें इंतजार की पीढ़ा भूल हाथ उठा कर बुला लूँ तुम्हें नज़दीक तुम्हारे हाथ बढाने और मेरा हाथ थाम देखते रहें एक दूसरे की आँखों में ख़ामोश रहें होंठ बातें आँखों से कर लें हम जी लें उन चंद पलों में एक पूरा जीवन इस क़दर ख़ामोशी दिल की धड़कन सुन पाएं एक दूजे की हम ख्वाहिश छू लेने की एक भीगे से चुम्बन की महज ख्वाहिश, अधूरी, अनुत्तरित ©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन..
एक दिन..
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White एक दिन शायद … खत्म होगा इंतजार… बहु प्रतीक्षित इंतजार.!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha एक दिन...
एक दिन...
read morevsfsaifkhawaza
White सूरज ढल जाता है ऐसे ही दिन गुजर जाता है ©vsfsaifkhawaza दिन #vsfsaifkhawaza
दिन #vsfsaifkhawaza
read moreParasram Arora
White वो दिन ज्यादा दूर नही ज़ब न मौसम बदलेगा न आदमी की नियत या गंदी आदते बदलेंगी लेकिन ये पृत्वी अपने अक्ष पर वैसे ही घूमती ठेगी जैसे अब तक युगो से घूमती रहीं है ©Parasram Arora वो दिन
वो दिन
read moreAjit Singh "Prince"
White इसीलिए कूछ कहते नहीं हम, चूभे ना तुम्हें कभी शब्द हमारे। कहा तूमने ही था हथियार नहीं, एक दिन शब्द बाण ही मारेंगे तूम्हारे। ©Ajit Singh "Prince" #Sad_Status शब्द बाण।
#Sad_Status शब्द बाण।
read moreMahesh Patel
White सहेली.... एक शब्द और एक रिश्ते की कीमत तभी पता चलती है.. जब दोनों निकल जाए, एक मुंह से दूसरा जीवन में से... लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... शब्द.. लाला...
सहेली... शब्द.. लाला...
read moreMohan Sardarshahari
White यह दिन भी रंग बदलता है मुझे रोज आगाह करता है सुबह सुर्ख लाल जैसे बाल के गाल छिपे हों आंचल लाल। दोपहर में सफेद जैसे पुरुषार्थी का भेष तपकर करता सजीवों का पोषण देता श्रम का संदेश। बरसात से पहले बन जाता शांत जैसे योगी फिर मचाता शोर लुटाता खजाना जैसे कोई भोगी। सायं शांत सा समा जाता काली रात आगोश याद करते हुए जैसे बीते समय के रंग और मांग रहा हो फिर सुबह का जोश यह दिन भी रंग बदलता है मुझे रोज आगाह करता है ।। ©Mohan Sardarshahari दिन के रंग
दिन के रंग
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