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ShyamShonkyJNV
जज्बातों को न तो ख़रीदा जाता है और न ही बेचा जाता है।। उन्हें तो बांटा जाता है आपके अपनों के साथ ।। जज्बातों को न तो ख़रीदा जाता है और न ही बेचा जाता है।। उन्हें तो बांटा जाता है आपके अपनों के साथ ।। Shivani Keshari roshni vardha chaudhary
जज्बातों को न तो ख़रीदा जाता है और न ही बेचा जाता है।। उन्हें तो बांटा जाता है आपके अपनों के साथ ।। Shivani Keshari roshni vardha chaudhary
read moreConsciously Unconscious
(लड़कियां) मेरा जन्म लेना भी यहां पर पाप माना जाता है, मेरी सांसों को तो माटी की तरह बेचा जाता है। रुलाया जाता है मुझको और फिर मुझे, कह कर पराया धन ठुकराया जाता है। मुझे मार देते हैं मेरे जन्म से पहले, लालछन लगाए जाते हैं जब कदम घर से भरा जाता है। कुछ ऐसी ही है जिंदगी मेरी की दूजे के घर हुई तो पूजते, खुदके घर पर मुझे, मेरे अस्तित्व को ललकारा जाता है। ब्याहदी जाती हुं मैं बलिक होने से भी पहले, मुझे एक घर से दूसरे को भेजा जाता है। मां बाबा का आंगन छोड़ देखो व्यथा हाय, गैर की चोखट पर मुझे सजाया जाता है। (लड़के) होते ही बड़ा मैं यूं झुकने लगता हूं, अपनी ही आंखों में खुदको चुभने लगता हूं। बेरोजगारी का दौर तो देखो साहब जरा, मैं खुदकी ही खुदकी चीता को बुनने लगता हूं। जाना होता है घर से दूर मुझको भी तो आखिर, फर्क इतना की मैं दूजे परिवार नहीं किसी कार्यालय की चौखट पर मिलता हूं। रोना भी चाहता हूं पर आसूं बजाए नहीं जाते मुझसे, खुदके हृदय में अंतर ही अंतर मरते रहता हूं। कभी मरती है मुझे महंगाई की और कभी आ लगती गले मार मुफलिसी की, दर्द रातों में पूछो मेरे फटे मोजे से किस्तर एक ही काज में दो उंगली रखता हूं। लगता हूं गलत मैं ही की मेरी ही गलती है होती, अरे तुम्हें मारा जाता एक बार मैं हर बार मरता हूं। पत्थर हृदय नहीं है मेरा की शीशा तो आखिर वो भी है, देखो कभी आकर कैसे टूटे कांच संजो के रखता हूं। अरे ना पूछो की आखिर कैसे है जिंदगी मेरी, सर्द रातों में मैं खुद जलकर आंच बनता हूं। ©Consciously Unconscious #Hope (लड़कियां) मेरा जन्म लेना भी यहां पर पाप माना जाता है, मेरी सांसों को तो माटी की तरह बेचा जाता है।
#Hope (लड़कियां) मेरा जन्म लेना भी यहां पर पाप माना जाता है, मेरी सांसों को तो माटी की तरह बेचा जाता है।
read morevks Siyag
"ऐसा क्यों" ********* ऐसा सवाल हमेशा परेशान करता है, ऐसा सवाल रोज जहन की दिवारों से टकराता है, फिर एक भयंकर तूफान उठ जाता है, पर, वो सवाल कभी इम्तिहानों में नहीं पूछा जाता है, जब कोई इंसान अपनी जिंदगी दाव पर लगा देता है, किसी को जिंदगी देने के लिए, जब उसको जिंदगी मिल जाती है तो, उसी इंसान को जीते जी मार दिया जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई इंसान अपनी राह के कांटों को हंसकर झेलता है, और किसी के लिए उसकी राहों के कांटे हटाकर, उसको मंजिल तक पहुंचाता है, फिर उसको ही राह का कांटा समझ लिया जाता है, ऐसा क्यों? जो इंसान स्वयं हर दर्द सहता है, और किसी के लिए अपनी सारी खुशियां न्योछावर कर देता है, फिर उसको ही दर्द का कारण समझ लिया जाता है, ऐसा क्यों? जब इंसान को उसकी मजबूरियां घेर लेती है, और मजबूरियां उसकी बेबसी के पत्थरों पर सर पटकती है, जब इंसानियत को सरेआम, सस्ते भावों में बेचा जाता है, और उन पर भी कोई हंसता है, ऐसा क्यों? जब मजदूर पूरे दिन दो वक्त की रोटी के लिए, कड़ी धूप में दिन भर पसीना बहाता है, खुद सूखी रोटी और नमक खाता है, और जब वो अपना हक मांगता है तो, उसके ईमान को क्ई नकाबपोश झूठों के द्वारा मिलकर कुचल दिया जाता है, ऐसा क्यों? एक फूल जो कांटों में खिलकर भी सबको खुशबू देता है, जब उसको कोई आम इंसान माली से बिन पूछे तोड़ लेता है, तो चारों ओर हंगामा मच जाता है, लेकिन, जब फूलों के अरमानों को, माली स्वंय पैरों से मसलता है, तो सबके मुंह पर ताला लग जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई निस्वार्थ भाव से किसी का भला करता है, फिर भी उस बेगुनाह को अन्याय के फंदों पर लटका दिया जाता है, और असली गुनहगार को फूलों से नवाजा जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई इंसान अपनी हर ख्वाईश दफन करके, दूसरे इंसान की हर ख्वाईश पूरी करता है, फिर भी उस इंसान का वजूद खत्म कर दिया जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई इंसान किसी से बेपनाह मोहब्बत करता है, फिर भी उस इंसान को बेवफा बताकर, ठुकरा दिया जाता है, और किसी गैर को वफादार बताकर अपना लिया जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई इंसान सबको खुश देखना चाहता है, सबकी खुशियों में अपनी खुशियां ढूंढ़ता है, फिर भी उस इंसान को झूठे इल्जामों के तले दबाकर, उसकी रूह को मार दिया जाता है, ऐसा क्यों? जब किसी इंसान को कोई इंसान अच्छा लगता है, वो उसके लिए कुछ करना चाहता है, कुछ करता है, फिर भी उसको मतलबी बता दिया जाता है, ऐसा क्यों? जब कोई इंसान किसी पर खुद से ज्यादा विश्वास करता है, फिर भी उसके साथ घात किया जाता है, और झूठ पर विश्वास किया जाता है, आखिर ऐसा क्यों? ************************* --Vimla choudhary 2/12/2020 ©vks Siyag "ऐसा क्यों" ********* ऐसा सवाल हमेशा परेशान करता है, ऐसा सवाल रोज जहन की दिवारों से टकराता है, फिर एक भयंकर तूफान उठ जाता है, पर, वो सवा
"ऐसा क्यों" ********* ऐसा सवाल हमेशा परेशान करता है, ऐसा सवाल रोज जहन की दिवारों से टकराता है, फिर एक भयंकर तूफान उठ जाता है, पर, वो सवा
read moreके_मीनू_तोष
#hindi #nojotokhabri #kavishala #poetry अभद्र राजनीति कहो ! तुम्हीं हो ना वो राजा जिसने देश बेचा है ? कभी मुगलों कभी अफगानों कभी अंग्रेज़
#Hindi #nojotokhabri #kavishala #Poetry अभद्र राजनीति कहो ! तुम्हीं हो ना वो राजा जिसने देश बेचा है ? कभी मुगलों कभी अफगानों कभी अंग्रेज़
read moreSächîñ Shârmä
क्या कहा बराबरी, वो भी तुम्हारी । ना जी ना, हमसे जमीर बेचा ना जाएगा ।। ©Sächîñ Shârmã हमसे जमीर बेचा ना जाएगा ।
हमसे जमीर बेचा ना जाएगा ।
read more- फरेबी मन
मेरे हर एक शब्द के व्यापारी है वो जिन्हे इश्क - ए - बाज़ार में बेचा करते है। मेरे हर एक शब्द के व्यापारी है वो जिन्हे इश्क - ए - बाज़ार में बेचा करते है।
मेरे हर एक शब्द के व्यापारी है वो जिन्हे इश्क - ए - बाज़ार में बेचा करते है।
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