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SILENT BABA
Title - " बिदाई " बेटी के जन्म से ही माता-पिता को,,, सबसे पहले मन में यहीं बात आती हैं कि बेटी तो एक दिन दूसरे घर में जानी है माता-पिता बेटी को ,,,,, हर दुःख दर्द से दूर करने की कोशिश करते है जब उसकी शादी की बात आती है ,,,,,, तब उसकी बिदाई की फ़िक्र में परेशान रहते हैं कि बेटी को ससुराल वाले ताने ना दे ,,,,,,, ©SILENT BABA #Sad_Status poetry in hindi hindi poetry poetry poetry on love hindi poetry on life
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read more_बेखबर
कोई नहीं समझेगा तुझ को तू किसी को ना सुनाया कर नमक का शहर है ये ज़ख्म ढक कर आया कर बदनाम गलियां हैं यहां की मुझे नाम से ना बुलाया कर आधी दुनिया भूखी है तू आधी रोटी खाया कर कभी रूक आराम भी कर खुद को ज्यादा ना सताय कर उसको याद करना अच्छा है पर खुद को ना भुलाया कर ©_बेखबर #sunset_time hindi poetry hindi poetry on life
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read moreDr Deepak Kumar Deep
White बेटी तुम्हारा जन्मदिन आया है, खुशियों का फिर से संदेसा लाया है। हंसती रहो तुम यूं ही सदा, हर पल हो खुशियों से भरा। तुम हो हमारे जीवन की रोशनी, तुमसे ही है घर की हर खुशी। सपनों की उड़ान यूं भरती रहो, हमेशा आगे बढ़ती और चमकती रहो। जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं! © डाॅ दीपक कुमार 'दीप' . ©Dr Deepak Kumar Deep hindi poetry poetry hindi poetry on life
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read moreRishi Ranjan
White मिलेंगे ज़रूर हम मुसाफिर बन मिलेंगे । पर मिलेंगे, हम जरुर । अजनबी सा पास आकर,, फिर चले जाएंगे दूर,, बैठकर उसी घाट पर, न इशारा न बात कर। उठ चलें जाएंगे हम,, इस क़दर मुलाकात कर । पूछ कर गंतव्य पथ फिर, हम निकल जाएंगे दूर। हम मुसाफिर बन मिलेंगे । पर मिलेंगे, हम जरुर । न हसरत रहे मिलने की फिर, न गम बिछड़ने का रहे । न मिले,न फिर मिलेंगे,, यूं अजनबी सा मन रहे। पर देखेंगे जरूर..!! ©Rishi Ranjan #sad_shayari hindi poetry on life hindi poetry poetry on love poetry
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read more#trkaalgaming
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read morefarheen shamim
इंसानों की भीड़ में हैवानों को देखा है। किसी ने नन्ही जान तो किसी ने मासूमियत को नोचा है। किसी ने बाप के गुरूर तो किसी ने मां के लाड़ को घोंटा है। इंसानों की भीड़ में हैवानों को देखा है। बेजान कली सी थी, अभी ही तो जन्मी थी, दुनिया से अनजान नरम सी जान को भी खरोंचा है। घर आयी खुशहाली को अपनी हैवानियत से नोंचा है। इंसानों की भीड़ में हैवानों को देखा है। अरमानों की उड़ान भरने ही वाली थी, सपने पूरे करने ही वाली थी, मंज़िल तक पहुंचने वाली ही थी, अपनी नामर्दानगी से उसकी आंखो को मींचा है। बेरहमी से उसकी चीखों को भींचा है। इंसानों की भीड़ में हैवानों को देखा है। वो दो घरों का सम्मान थी, किसी की जान थी तो किसी का मान थी। अपने घिनौने नशे से एक जुबान को तोड़ा है। अपनी गंद नज़र से एक बेबस को मरोड़ा है। इंसानों की भीड़ में हैवानों को देखा है। ©farheen shamim #Chhavi #Women #nari #reaility #worldsreality #todaystruth #MyThoughts
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