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Stories related to दिखता सैलून

Rakesh frnds4ever

#मेरे_बाद_किसको_सताओगे #मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, #तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे #मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,,

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Sonal Panwar

सागर में दिखता चांद🌜🌊💦 कोट्स गुड मॉर्निंग कोट्स लाइफ कोट्स' गोल्डन कोट्स इन हिंदी फ्रेंड्स कोट्स

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इस जहां में हर शख़्स और उसका अक्स 
हो एक समान, 
जैसा सागर में दिखता चांद जो छूता है 
नीला आसमान ।

©Sonal Panwar सागर में दिखता चांद🌜🌊💦 कोट्स गुड मॉर्निंग कोट्स लाइफ कोट्स' गोल्डन कोट्स इन हिंदी फ्रेंड्स कोट्स

darpanpremka by Rajesh Rj

उगता हुआ वो सूरज था , दिखता कभी उजाला था , अंधियारों में खोया ऐसे , जैसे बिना शीप का मोती था ।#GoodMorning #darpanpremka Neeti M.K Meet

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White उगता   हुआ   वो  सूरज  था ,
दिखता   कभी   उजाला  था ,
अंधियारों    में   खोया   ऐसे ,
जैसे बिना शीप का मोती था ।

©darpanpemka उगता हुआ वो सूरज था ,
दिखता कभी उजाला था ,
अंधियारों  में खोया ऐसे ,
जैसे बिना शीप का मोती था ।#GoodMorning #darpanpremka 
 Neeti  M.K Meet

Anjali Singhal

Love 💞 love #loveshayari #shayaristatus #status #lovestatus "बसा है तू मुझमें बस दिखता संग नहीं। तेरे अलावा मुझमें अब कोई रंग नहीं।।" #

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kavi amit kumar

#engineers_day अमीरी का घमड़ तू , किसको दिखता है! पैसे को जो तू, वे वजह उडाता है !! कभी पूछना अपने बाप से बैठकर! वो रात दिन कैसे कमाता है!!

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White अमीरी का घमड़ तू , किसको दिखता है!
पैसे को जो तू, वे वजह उडाता है !!
कभी पूछना अपने बाप से बैठकर!
वो रात दिन कैसे कमाता है!!
     ~अमित कुमार~

©kavi amit kumar #engineers_day अमीरी का घमड़ तू , किसको दिखता है!
पैसे को जो तू, वे वजह उडाता है !!
कभी पूछना अपने बाप से बैठकर!
वो रात दिन कैसे कमाता है!!

Heer

जबसे तुम पर आंखे ठहरी है, हर शक्श में मुझे सिर्फ एक तू दिखता है। 💙❤️😘 कृष्णप्रेमी💚🌸🦚 राधाकृपा🙏 #दीवानी_तेरी

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अमित कुमार

सब दिखता है

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्
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