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Shabana Nafees
मेरे हालातों में मुमकिन है तुम्हें कोई कहानी मिले मुझे उम्र भर जीना है उन्हें तुम्हें दो घड़ी पढ़ना Revisited
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नज़दीक ज़रा आओ तो ज़ुल्फ़ों कि गिराह खोल दूं जूड़े में बंधे जज़्बात जो हैं कहो तो रिहा मैं कर दूं Revisited
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वो आया था बाद ए सबा सा, गया तो तूफान था उसके आने में सुकून था, उसके जाने में एक कहर । एक रोज़ छोड़ गया जो रिफ़ाक़तें मेरी तलाश में भटकता हूँ अब उसकी दहर दहर । वो जो खो गया है किसी शहर के हुजूम में मैं ढूंढता फिरता हूँ उसे शहर शहर । वो गया था जिस शब, लेके टुकड़े उस रात के मिलाता फिरता हूँ उसके निशां से हर सहर । Revisited
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कभी ख़ार सी चुभे है कभी धूप सी उबले है कभी रेशम सी भी तो बनकर लिपट तू मुझसे ए ज़िन्दगी Revisited
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गर पर हौंसलों के भी बंध गए तो बंद कफ़स खोलेगा कौन हम भी ज़बां बंद रखेंगे तो आख़िर यहाँ बोलेगा कौन मुद्दत हुई उजालों को गुम हुए गहन जबसे लगा है सूरज को जो हम भी समा गए इस रात में तो शहर में चराग़ा करेगा कौन Revisited
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मुमकिन है मेरे हालातों में तुमको कोई कहानी मिले तुम्हें दो घड़ी जिसे पढ़ना है वो मुझे उम्र भर जीना है Revisited
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Why don't you give when I am still here and around... ...The rose that you shall lay upon my chest when I am dead Revisited
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लौट आती हैं सदायें इन पहाड़ों से टकरा के कितने मिलते जुलते हो तुम इन पहाड़ों से Revisited
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इतवार से इतवार तय करने तक रह गयी है ज़िन्दगी सिमट के बस इतनी सी रह गयी है Revisited
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