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Mansi Kapil
White You deserve better बोल कर वो आपसे better ले जाते हैं आप उन्हीं की ख्यालों में खोए रह जाते हैं कसमें वादे आपसे कर वो किसी और के साथ निभाते हैं आप उन्हीं की यादों में आँसू बहते रह जाते हैं ©Mansi Kapil you deserve better #sad_quotes #thodaप्यारkiyaजाए #fasak_humari Satyaprem Upadhyay महेन्द्र सिंह (माही) Anupam Mharaj Umariya Ashok Dab
you deserve better #sad_quotes #thodaप्यारkiyaजाए #fasak_humari Satyaprem Upadhyay महेन्द्र सिंह (माही) Anupam Mharaj Umariya Ashok Dab
read moreमहेन्द्र सिंह प्रखर
White शेर :- चाँद मेरा न लौटकर आयेगा दो दुआ रात ये गुजर जाए ज़िन्दगी थी हसीन कल मेरी देख लो तुम अगर नज़र आये महेन्द्र सिंह प्रखर ©महेन्द्र सिंह प्रखर शेर :- चाँद मेरा न लौटकर आयेगा दो दुआ रात ये गुजर जाए ज़िन्दगी थी हसीन कल मेरी देख लो तुम अगर नज़र आये महेन्द्र सिंह प्रखर
शेर :- चाँद मेरा न लौटकर आयेगा दो दुआ रात ये गुजर जाए ज़िन्दगी थी हसीन कल मेरी देख लो तुम अगर नज़र आये महेन्द्र सिंह प्रखर
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हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर
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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के
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White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा
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कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
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दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
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मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव , दो इनको परि
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White विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन जगत में तू सम्मानी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज
विधा :- वसनविशाला छन्द १११ १११ १२२ २२२ पशु सम बन नही आत्याचारी । नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।। चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी । फिर बन ज
read moreVikram vicky 3.0
White वो शख़्स कहता है कि मुझे मिलना हैं तुमसे वो जानता नहीं की खुद के लिए भी अजनबी हूं मैं Vr... ©Vikram vicky 3.0 #atit महेन्द्र सिंह (माही) Alka Pandey ("MohiTRoCK f44 ") बादल सिंह 'कलमगार' Umme Habiba
#atit महेन्द्र सिंह (माही) Alka Pandey ("MohiTRoCK f44 ") बादल सिंह 'कलमगार' Umme Habiba
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