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Dr Amit Gupta
जरा बिछड़े हुए वो मेरे यार ले आओ बीते हुए दिनों का वो प्यार ले आओ वाट्स एप फेसबुक में वो बात कहा डाकिये से चिट्ठी या तार ले आओ। बहुत मुरझायी सी है मार्केट इस शहर की मेरा रौनक भरा बुधवारी बाजार ले आओ यहां चीजों के साथ भावनाओं का भी फिक्स रेट है मेरे गांव से मोलभाव में कुछ उधार ले आओ। अब का जो मौसम है गुलाबी ठंड का साथ में बैठो और चाय चार ले आओ।। भूली बिसरी
भूली बिसरी
read moreDr Amit Gupta
जमीन भी है ज़मीर भी है झुक जाऊं तो जमीन अपनी न झुका तो जमीर अपना।। नदी भी है समंदर भी है पार गये तो नदी अपनी डूब गए तो समंदर अपना।। जीत भी है सबक भी है जीत गये तो जिंदगी अपनी हार गये तो सबक अपना।। मोहब्बत भी है ख्वाब भी है मिल गई तो मोहब्बत अपनी न मिली तो ख्वाब अपना।। #भूली बिसरी
#भूली बिसरी
read morePawan Dvivedi
शेषांक भूली दास्ताँ जहां तुमसे आख़िरी मुलाकात हुई थी,पर वहां भी कुछ ना मिला।मुझसे नज़रें चुराते वक़्त जिन जिन चीज़ों को तुम्हारी नज़र ने छुआ था वे अब शायद वहाँ न हों।तुम्हें छूकर गुजरी हवा ने जिन शाख़ों को हिलाया था उनके पत्ते अगली ही पतझड़ में गिर गये थे।तुम जहां खड़े थे वहां की धूल हवा उड़ा ले जा चुकी थी।उस एक पल में मर जाने की ख़्वाहिश के साथ एक मुद्दत बीत गयी!वो तुम्हारा वक़्त था शायद तभी तो बातें भी सब तुम्हीं ने कीं।मैं तो बस सुन रहा था देख रहा था हमारे बीच बढ़ रही दूरियों को, मगर देखो ना वक़्त बदल गया है। कहानियों से नफ़रत करने वाला मैं अब ख़ुद कहानियों का पुलिंदा बनकर रह गया हूं हां,उसके बाद में कविताएं शायरी,कहानियां लिखने लगा हूं मगर केवल इसीलिए कि अब तुम्हारे यादों का बोझ हटा कर एक ऐसा किरदार बना पाऊँ जिसमें मुझे ख़ुद को ढूंढना न पड़े,जो मुझे ख़ुद में ढूंढ ले,इस यादों से निकाल ले...और जिसके सहारे बाकी की जिंदगी पुरसुकूं जी लूँ।जानते हो बहुत तकलीफ़ होती है कहानियां लिखने में...मेरी डायरी से ©Pawan Dvivedi #ArabianNight भूली दास्ताँ
#ArabianNight भूली दास्ताँ
read moreASIF ANWAR
जब मेरी डायरी में वो शेर मिल गया जो मैं बरसों पहले लिख कर भूल गया था। ©ASIF ANWAR भूली बिसरी शायरी
भूली बिसरी शायरी
read moreRakhi Om
"भूली बिसरी यादें" आज भी रोज क्या बादल आते होंगे सर सर हवाएँ क्या आज भी गूँजती होगी क्या आज भी चाँद अपनी चांदनी की आभा में मदहोश होगा क्या आज भी मुझ जैसा कोई तुझे देखता होगा क्या आज भी कोई खुले आसमान के नीचे, नीले आकाश में और तारों के चमकने पे मुस्कुराता होगा क्या आज भी कोई मिट्टी की ख़ुशबू से बादलों की बूंदों में नाचता होगा क्या आज भी कोई दरिया की आवाज सुनके भागता होगा नई रचनाओं को रचता होगा क्या आज भी पहाड़ो में खिलती धूप चाँदनी सी बिखरती होगी, कई दिलों में नई उमंग भरती होगी क्या आज भी बारिश के बाद मेरा शहर नया नया धुला धुला सा लगता होगा Rakhi Om ©Rakhi Gupta # भूली बिसरी यादें#
# भूली बिसरी यादें#
read moreJyoti Agnihotri
मेरी ज़िन्दगी का खूबसूरत किस्सा हो तुम चलो मेरे ना सही ,,,,, किसी का तो हिस्सा हो तुम.. जो वादे मुझसे किए थे कभी अब किसी और से करते होंगे जो ख्वाब मेरे साथ देखे थे अब कहीं और पूरे करते होगे वो वादे , वादे ही रह गए अब तुम मेरे नहीं किसी की कहानी का हिस्सा हो तुम मेरे लिए बस भूला हुआ एक किस्सा हो तुम... ©Jyoti Agnihotri # भूली बिसरी यादें
# भूली बिसरी यादें
read moreSneha Maurya
वो तुम्हारा बाहर से आना, दूर से देख के तुमको,मेरा कभी मेंज तो कभी दरवाजे के पीछे छिप जाना,तुम्हारा बिल्ली,बिल्ली कह कर मुझे सारे घर मै ढूनना, मुझे मेंज के नीचे से निकल के ज़ोर से गले लगाना, और कहना बिल्ली मै तो डर गया था तुमको ना देख के,क्या तुमको कभी याद नहीं आता???? #भूली बिसरी यादें..
#भूली बिसरी यादें..
read moreDayal "दीप, Goswami..
यूँ तो कई मंजर देखे हैं हमने यारो, पर एक चेहरा आज भी दिल में उतर जाता है,। एक हवा के झोंके से आ कर दिल में समा जाना, जगा जाना ना जाने कितने सोये अरमाँ दिल में, चंद्रबदन कातर नयन कालीकजरारी लटें, वह छबि आज भी आखों में उतर आती है,। कुछ अनकहे कुछ अनसुलझे प्रश्नों की दास्ताँ अब भी दिल को झकझोर देती है मैं जानता हूँ कि तू नही है कहीं भी आसपास पर ना जाने कैसे अहसास दिल में जगा जाती है। हर रातदेखा खवाब दिन में साकार नहीं होता हर मुस्कराहट का मतलब प्यार नहीं होता । मन कहता है कि ये तो तेराअपना भ्रम था अनजान चेहरे में भी तुझे दिखता अपनापन था, वक्त बीत चुका वह हसीन क्यूँ उसका गम है, वह रहा तेरा मनमीत क्या ये कम है। दीप* #भूली-बिसरी दास्ताँ***
#भूली-बिसरी दास्ताँ***
read moreगोविंद चारण
प्रिय साथियों हर वर्ष कुछ यादों के साथ गुजरता है हर व्यक्ति कुछ नया करने के प्रयाश में अपना सब कुछ झोंक देता पर समय प्रतिकूल होने पर सफलता मिल नही पाती इसलिए किस्मत को ना कोसे फिर से लगजाइए कहा है किसी ने मुकद्दर में लिखा है वो मिलकर रहेगा भूली बिसरी यादें...
भूली बिसरी यादें...
read moreगजानन्द खेड़े
आमने-सामने उसका हाथ अब भी मेरे हाथ में होता ,काश वो पल अबभी मेरे पास होता। बेचैन सी जिंदगी कर गई मेरी , क्या पता उसका हाथ किसके साथ होगा। भूली बिसरी यादें
भूली बिसरी यादें
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