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Vandana Rana
उलझनों में जो खर्च हो रही है ज़िंदगी, मुस्कुराना तो मैं भी वहन कर लेती हूँ। ©Vandana Rana उलझनों में जो खर्च हो रही है ज़िंदगी, मुस्कुराना तो मैं भी वहन कर लेती हूँ।
उलझनों में जो खर्च हो रही है ज़िंदगी, मुस्कुराना तो मैं भी वहन कर लेती हूँ।
read moreAnuradha T Gautam 6280
#दहेज दहेज में दिया पैसा कभी बेटी के काम नहीं आता लेकिन बेटी को पैरों पर खड़ा किया गया वो खर्च आपकी बेटी को एक मजबूत भविष्य देगा मैंने
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ लोग हमारे सामने व हमारे पीछे भी हमारे लिए होते हैं, और कुछ लोग हमारे सामने हमारे हैं, हमारे पीछे बिल्कुल नहीं होते, उन लोगों का आप क्या कोई भी कुछ नहीं कर सकता, आप ऐसे लोगों के लिए अपना कीमती समय बर्बाद न करे, वह समय हम भगवान श्री कृष्ण जी के लिए खर्च करे, सिर्फ एक वो ही हमारे है, दिखते नही है, पर सदियो से सदियों तक हमारे है।। ©N S Yadav GoldMine #Couple {Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ लोग हमारे सामने व हमारे पीछे भी हमारे लिए होते हैं, और कुछ लोग हमारे सामने हमारे हैं, हमारे पीछे बिल्क
#Couple {Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ लोग हमारे सामने व हमारे पीछे भी हमारे लिए होते हैं, और कुछ लोग हमारे सामने हमारे हैं, हमारे पीछे बिल्क
read mores गोल्डी
एक उम्र जो लड़कों ने मोहब्बत मे खर्च कर दी., वो उम्र किताबों को देते तो बेरोजगार ना होते...❤️🌻 ©s गोल्डी एक उम्र जो लड़कों ने मोहब्बत मे खर्च कर दी., वो उम्र किताबों को देते तो बेरोजगार ना होते...❤️🌻
एक उम्र जो लड़कों ने मोहब्बत मे खर्च कर दी., वो उम्र किताबों को देते तो बेरोजगार ना होते...❤️🌻
read moreDirector Shakti Tiwari
'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' हिंदी कॉमेडी चुटकुले ही चुटकुले शायरी चुटकुले फनी शायरी जोक्स बियर के पैसे 🤑 Wait For End 🤣 directorshaktitiwar
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गये , लगा जिन्हें था रोग ।। बात-बात पर जग भला , क्यों देता है टोक । कहाँ आयु है प्रेम की , जो लूँ दिल को रोक ।। करते रहते तंज हैं , क्या होता है प्यार । सब कुछ तो हैं हारतें , दिल को भी दें हार ।। जीवन से अब हार कर , पाया है यह सीख । पेरी जाती है सदा , जग में देखो ईख ।। आशा की पूँजी बड़ी, कभी न होती खर्च । रखिये अपने साथ नित , चाहे जायें चर्च ।। आशा हो तो ईश भी , मिल जाते हैं द्वार । वरना रहिये खोजते , बन पागल संसार ।। युग कितने बीते यहाँ , किया नहीं विश्राम । आशाओं से राम जी , लौटे अपने धाम ।। धैर्य रखे इंसान तो , सब संभव हो जाय । आशाओं के दीप से , जग रोशन हो जाय ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय
दोहा :- पति पत्नी के बीच में, होती नाजुक डोर । ऐसे मत छेडो उन्हें , हो जाए दो छोर ।। प्रेम कभी मरता नही , मर जाते हैं लोग । बात वही बतला गय
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White यूं ही मां बाप बच्चो को पाल लिया करते हैं जब बच्चे जवान होते है अपने को संभाल लिया करते है कहते है बच्चे क्या किया तुमने जीवन भर हमारे लिए उठाया था खर्च जिनका पढ़ाई लिखाई नोकरी का दिन रात जागकर यारो पता नही क्यूं मां बाप को अपने बच्चे वृद्ध आश्रम में छोड़ आते है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Papa _shayari यूं ही मां बाप बच्चो को पाल लिया करते हैं जब बच्चे जवान होते है अपने को संभाल लिया करते है कहते है बच्चे क्या किया तुमने
#Papa _shayari यूं ही मां बाप बच्चो को पाल लिया करते हैं जब बच्चे जवान होते है अपने को संभाल लिया करते है कहते है बच्चे क्या किया तुमने
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी , पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन , कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है , महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी, कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ , भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,
गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ , भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,
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