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Neeraj Yadav
सर्दी बहुत है बाहर ना निकला करो जी जय हो ठंड की ©Neeraj Yadav सर्दी है भाई सर्दी
सर्दी है भाई सर्दी
read moreRakesh Lalit
न शाम आकर सुकून देती है मुझको यहाँ की, न सुबह को शहर में वो दिलक़शी दिखती है, ख़्वाहिशों पर क़हर है हर पहर इस मुकाम का, मुझे तो धूप का धुंध से हार जाना अच्छा लगता है, मुझे वो बद-मिज़ाज शहर पुराना अच्छा लगता है। नीरस है यहाँ के मौसम की बेतरतीब सी फ़ितरत, रात से घने कोहरे में डूब जाना अच्छा लगता है, अजनबी इस शहर की हवा न दे पाती वो सिहरन, मुझे जिस सर्द में कंपकंपाना अच्छा लगता है, मुझे वो बद-मिज़ाज शहर पुराना अच्छा लगता है। ©Rakesh Lalit #सर्दी
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
सोते हैं जब हम घरों में तानकर चद्दर रजाई। और कई मुफ़लिस हैं सोते ठिठुरती सर्दी में भाई। बात करते हैं यहाँ सबलोग हुआ कितना विकास- झूठ कहते यूँ सभी से उसको तनिक न लाज आई। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #सर्दी
Shaikh Imran
सर्दियों की खुली छत पर जिंदगी का हाय तसव्वुर धूप में नरगिसी पाँव और सर पे दुपट्टा किए हुए। ©Shaikh Imran #सर्दी
Farooq Farooqui
ये जो सर्दी है न ये हमारी बाहों में आ कर ही खत्म होंगी,ये तुम्हारी नई ,,शाल,, मसले का हल नही, ©Farooq Farooqui सर्दी
सर्दी
read moreKailas Tidke
मौसम मे भी आज बगावत की निशाणी है.../ सर्दी मे भी बारिश मे पानी है ...// ©®कैलास तिडके ©Kailas Tidke #सर्दी
B.L Parihar
हल्की हल्की सी,, ठंड की शुरुआत याद है मुझे अब तक,, वो ,, तेरे साथ की सर्द गुलाबी रात अक्सर बैठे रहते थे हम दोनो थाम के इक दूजे का हाथ वो ,, गिरते , सॅभलते बिखरते जज्बात खामोश मै खामोश तुम खामोश थी रात पर,, खामोश होकर भी खामोशी से होती थी सारी बात वो तेरी ऑखो के मौन निमंत्रण मौन होकर भी कह जाते थे दिल की बात कितनी हसी थी वो तेरे साथ की सर्द गुलाबी रात ..... यू तो आयी है फिर से वो ही सर्द रात पर,, गुलाबी नही है ये रात अब नही है तेरा साथ तेरा हाथ पर,, तुम बिन बिखर बिखर जाते है मेरे जज्बात बैरन बन गई है मेरे लिए ये सर्द रात काश... जैसे लौट कर आया है ये नवंबर ऐसे तुम भी लौट पाते । ©B.L. Parihar #सर्दी
Aabid Hussain
यही मौसम था के जब नंगे बदन छत पर टहलते थे यही मौसम है अब सीने में सर्दी बैठ जाती है #सर्दी
krishna
दिसंबर, चाय और ठंड जाते साल के आखरी महिने मे ये सर्दी सब का रिकॉर्ड तोड़ गई ।ओर जो कहते थे हम चाय नही पीते उन्हे भी हाथ मे प्याला पकड़ा गई ।। कोई नी कोई नी पिले पिले ओ मोरे राजा पिले पिले औ मोरे जानी ।। सर्दी
सर्दी
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