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samandar Speaks
White सुबह से शाम तक दीए लेकर वो आश पाली है खरीदोगे अगर हमसे तो मेरी भी दीवाली है देखो यूं मुंह न फेरो फटे कपड़ों कि जानिब से अंधेरा है मेरे घर में, उम्मीदें तुमसे पाली है इधर है शाम आने को,उधर बच्चे है पग तकते मेरी रेड़ी पे भी आओ, मुझे मड़ई सजानी है चमकते मॉल कल्चर ने हमे बेमौत मारा है तुम्हीं से पेट पलता है,तुम्हीं से जिंदगानी है सुबह से शाम तक दीए लेकर वो आश पाली है खरीदोगे अगर हमसे तो मेरी भी दीवाली है राजीव ©samandar Speaks #good_night अंजान Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Radhey Ray Internet Jockey
#good_night अंजान Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia Radhey Ray Internet Jockey
read moreReena Sharma
#reenasharma3011 अंजान Monu Kumar ARTIST VIP MISHRA Arshad Siddiqui Yadav Ravi
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White ढूंढता हूँ उसे सबकी भीड़ में पर उसे कही नहीं पाता शायद इसीलिए मैं अब छठ घाट नहीं जाता हालांकि रंगीन कपड़ों में बच्चों को देखता हूं भागते हुए खेतों की पगडंडियों पे सबको लहराते हुए कमजोर सा शरीर लिए मांओ का दउरा उठाते हुए इस भीड़ में कही अपना वो दउरा नहीं पाता शायद इसीलिए मैं अब छठ घाट नहीं जाता घाट कि सफाई आज भी बड़े जुनून में करते हैं मेरे दोस्त आज भी फावड़ा,कुदाल,टोकरी लिए घर आते हैं मेरे दोस्त आज भी बचपन के पल्लू तले बेशक बुलाते हैं मेरे दोस्त पर उनके साथ कैसे जाऊं,कोई मां के कातर स्वर नहीं सुनाता शायद इसीलिए मैं अब छठ घाट नहीं जाता राजीव ©samandar Speaks #love_shayari Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia अंजान Radhey Ray Internet Jockey
#love_shayari Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia अंजान Radhey Ray Internet Jockey
read moregaTTubaba
White देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई । ©gaTTubaba #sad_qoute देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई ।
#sad_qoute देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई ।
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देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई । ©gaTTubaba #navratri देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई ।
#navratri देखकर अनदेखा कर दिया किसीने लगता हैं अंजान देस में पहचान का हैं कोई ।
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White ख़ुद के ज़ख्मों का खुद हीं हिसाब रखते हैं हम तो गर्मी में ठंडा मिजाज रखते हैं वो जो कहते हैं उन्हें मेरी अब जरूरत ना रही उनके कदमों में दिलो जां निसार रखते हैं धूप आएगी सहर को यकीन है लेकिन शाम नाम पे अपने किस्से तमाम रखते हैं रोज़ दम तोड़ती,सड़क पे हूनर फकीरों की और महलों में लोग गुफ्तगू ए शाम रखते हैं राजीव.. ©samandar Speaks #GoodNight Mukesh Poonia अंजान Satyaprem Upadhyay Gautam Kumar Sandeep L Guru
#GoodNight Mukesh Poonia अंजान Satyaprem Upadhyay Gautam Kumar Sandeep L Guru
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White एक गीत इनायत सफाकत कहाँ देखता है, आब खोके मुरव्वत कहाँ देखता है। जो सर चढ़के बोले गुरूर आदमी का, फिर जमजम का पानी कहाँ देखता है। अमीरी में दूरी, गरीबी में दूरी, दिलों में जो फ़ासले गहरी कहानी। सचाई के रस्ते से गुजरे जहाँ पे, मगर अब वो रस्ता कहाँ देखता है। सजे हैं महल और चमकती हैं गलियां, मगर दिल का कस्बा कहाँ देखता है। ये दौलत के प्यासे, हैं शौहरत के दीवाने, किसी का भी रस्ता कहाँ देखता है। तू इंसान की शक्लों में मत ढूंढ ऐ दिल, खुदा का इशारा कहाँ देखता है। ये दुनियावी मंजर, ये चाहत के सपने, हक़ीक़त से दूर ये कहाँ देखते हैं। ख्वाबों में ये क्या क्या कहाँ देखता है, दिलों में जो रस्ता कहाँ देखता है। Rajeev राजीव ©samandar Speaks #sad_quotes Anant Radhey Ray अंजान Mukesh Poonia Gautam Kumar
#sad_quotes Anant Radhey Ray अंजान Mukesh Poonia Gautam Kumar
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White मैं शिक्षक हूँ पहले ये शब्द, आध्यात्मिक चेतना का उत्सर्ग था, ज्ञान की रोशनी, जिज्ञासा का पथप्रदर्शक था, समर्पण की मूरत, संवेदनाओं का सागर, आशाओं का दीपक, जो जलता था हर घर। पर आज, ये शब्द बन गया है तिरस्कार का दंश, आवाज़ में अवमानना का वजन है अधिक, सम्मान की जगह व्यंग्य और ठहाके हैं, निष्ठा को आज नापते हैं पैसों के तराजू में। मगर मैं तो वही हूँ, जिसने सिखाई थी उड़ान सपनों को, जिसने थामी थी नन्हे हाथों की उँगलियाँ, जो हर ग़लती पर कहता था, "कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो।" अब भी मैं वही हूँ, जो अंधेरों में रोशनी का नाम लिए खड़ा हूँ, भले ही शब्दों में चुभन हो, पर मेरा दिल अब भी सिर्फ़ ज्ञान की सेवा में डटा है। मैं शिक्षक हूँ, और ये जिम्मेदारी, मेरे लिए सिर्फ़ एक काम नहीं, एक व्रत है, एक धर्म है, जिसे मैं हर कठिनाई के बावजूद निभाऊँगा। राजीव ©samandar Speaks #GoodMorning अंजान Radhey Ray Internet Jockey Satyaprem Upadhyay Sandeep L Guru
#GoodMorning अंजान Radhey Ray Internet Jockey Satyaprem Upadhyay Sandeep L Guru
read moreNarendra meghwal
White जिंदगी में बहुत चीजे काफी नाजुक होती हैं जिनका मिलना मुकद्दर में नहीं होता अक्सर किस्मत उसी से टकरा जाती है ,अज्ञात। ©Narendra meghwal #good_night नरेंद्र गम भरी शायरी
#good_night नरेंद्र गम भरी शायरी
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White हां जब तन्हा होता हूं, जब भीड़ में खोया होता हूं जब जमीं पे अपनी पहचान ढूंढता हूं गुमशुदा होता हूं जिन पर खुद को कुर्बान करने वालो के रंग देखता हूं हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हू मेरे तेरे वो सिक्के शायद हम दोनो के थे ना मेरी तेरी साइकल शायद एक दूसरे कि थी ना मेरे तेरे कपड़े भी शायद एक दूसरे के थे ना अब अलग अलग सब है, धुंआ धुआं सब है पर अपने कंधों पे तेरा आज भी हाथ ढूंढता हूं हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं तुझे ढूंढता हूं बेबसी में,गमों में,अश्कों में,हर जज्बो में तुझे बयां करता हूं,अकेले में,तन्हाई में चंद किताबी पन्नों में तुझे ढूंढता हूं अश्क बाटने के चंद संजीदा पलों में हर रोज सबको देखता हूं ,सुनता हूं,ढूंढता हूं तुझे अपने लब्जो में हां तुझे सिद्दत से याद करता हूं,तुझे हर रोज ढूंढता हूं राजीव ©samandar Speaks #Sad_Status अंजान Mukesh Poonia Radhey Ray Gautam Kumar Richa Rai ( गूंज )
#Sad_Status अंजान Mukesh Poonia Radhey Ray Gautam Kumar Richa Rai ( गूंज )
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