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Ajita Bansal
White दर्द ने सिखाया खुद से मिलना, राहों में खो जाने से पहले, ख़ुद को जानना ज़रूरी है, तब जाकर कोई सही रास्ता लगे। हर ख्वाब का पीछा करते हुए, सपनों में खो जाते हैं हम, लेकिन जब वो टूटते हैं, तब महसूस होता है, हम कहाँ थे, कहाँ हम। अक्सर दूसरों की नज़र से ही जीते हैं हम, पर सच्ची पहचान तो अंदर से आती है। जो खुद को समझे, वही खुद को पा सकता है, बाकी सब तो बस एक छलावा होता है। अब मेरी आँखों में बस एक सवाल है, क्या मैं सचमुच खुद से प्यार करता हूँ? जब तक ये सवाल हल नहीं होगा, ख़ुद के ही हाल में, ख़ुद से जूझता रहूँगा। ©Ajita Bansal #Sad_Status poem of the day
#Sad_Status poem of the day
read moreSangeeta Dey Roy
White Dusk slithered in gently, noiselessly spread a sumptuous feast of orange, crimson and red. I basked in the glorious spread, But before I could fully relish the feast,it closed its wings and slept. ©Sangeeta Dey Roy # the colours of dusk
# the colours of dusk
read morethepoet_palette
White "Why is effort never appreciated, only the output?" ©Swati Rani Effort to deserve appreciation #quotesaboutlife
Effort to deserve appreciation #quotesaboutlife
read moreSrinivas
In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong ©Srinivas In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong.
In the face of shared threats, the seeds of enmity wither, and the roots of friendship grow strong.
read moreKK क्षत्राणी
White कुछ रिश्तों को अगर सही वक़्त पर खुद से दूर करने की हिम्मत आजाय तो फिर कोई भी दर्द नासूर नहीं बन सकता... ©KK क्षत्राणी #thought of the day
#thought of the day
read moreAjita Bansal
White वो रास्ते भी क्या रास्ते थे, जो हमें मंज़िल तक ले जाते थे। कभी धूप में, कभी छाँव में, हम चलते रहे, सफ़र के साथ। हर मोड़ पर, हर इक ठहराव में, मिले हमसे कुछ किस्से नए। कभी हँसाए, कभी रुलाए, वो रास्ते भी हमें सिखाते गए। कभी ठोकरें खाईं, कभी गिरकर उठे, मंज़िल की ओर बढ़ते गए। वो रास्ते हमें समझाते रहे, कि संघर्ष ही है असली जीत का रास्ता। ©Ajita Bansal #Thinking poem of the day
#Thinking poem of the day
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