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Stories related to दैनिक भास्कर नागपुर ई-पेपर pdf

IG @kavi_neetesh

*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी

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वंदना ....

#जाने क्या ढूंढती रहती है पेपर पढ़ते समय ये गाना नजर आया सोचा यहां पर #साझा करूं 🙏🤗🙏 कितना सुंदर अर्थ है 🙏

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बेजुबान शायर shivkumar

#hindi_diwas #Hindidiwas #Hindi #14september कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता Sethi Ji Kshitija puja udesh

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White  विषय -" हिंदी "

" अ से अनार, आ से आम
 हिंदी है भारत का अभिमान ।।

इ से इमली ,ई से ईख
हिंदी देती सबको सीख ।।

उ से उल्लू , ऊ से ऊंट
 हिंदी से है सब अभीभूत ।।

ऋ से ऋषि ,ए से एकता
 हिंदी से है भारत की प्रभुता ।।

 ऐ से ऐनक ,ओ से ओखली
 हिंदी है प्यार से भरी पोटली ।।

 औ से औषधि,अं, अ:
 हिंदी को उत्तम सब ने कहा ।।

 धन्यवाद

©बेजुबान शायर shivkumar #hindi_diwas #Hindidiwas #Hindi #14september  कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता Sethi Ji  Kshitija  puja udesh

Bhupendra Rawat

#hindi_diwas हम सब है,हिंदी भाषी हिंदी हमारी पहचान है जन - जन की है, जननी हिंदी हिंदी हमारी शान है अ, आ, इ, ई पढ़कर हमने अक्षरों से शब्दों

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White हम सब है,हिंदी भाषी
हिंदी हमारी पहचान है
जन - जन की है, जननी हिंदी
हिंदी हमारी शान है

अ, आ, इ, ई पढ़कर हमने
अक्षरों से शब्दों के जोड़े बनाए
हिंदी भाषा सीखी हमने
तो हिंदुस्तानी कहलाए

तू भी हिंदी, मैं भी हिंदी
हिंदी हमारी जान है
बिन भाषा हम सब 
अनजान है
गर्व से कहो, हिंदी हमारी 
आन बान शान है

©Bhupendra Rawat #hindi_diwas हम सब है,हिंदी भाषी
हिंदी हमारी पहचान है
जन - जन की है, जननी हिंदी
हिंदी हमारी शान है

अ, आ, इ, ई पढ़कर हमने
अक्षरों से शब्दों

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ

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मुक्तक :-

करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक ।
थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक ।
इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा ।
लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।।

ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते ।
यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते ।
कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती-
किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।।

लिए तिरंगा हाथ ,  बढ़े सैनिक जब आगे ।
बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे ।
ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने-
सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।।

मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी ।
देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी ।
बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर -
यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।।

अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी ।
आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी ।
तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा-
क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।।

जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते ।
जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते ।
मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे-
ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :-

करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक ।
थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक ।
इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा ।
लेता है यह कौ
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