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Heer
रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer #रोग
Krati Singh
उन्हें अपनी पत्नी के साथ बाज़ार में खिलखिलाने का लगा था रोग,,, हमपे नजर पड़ी ,,,तो बोले हट्ट... जाने कहाँ से आ जाते हैं लोग,,, #रोग
Deepika Rawat
ये जो दिल में "इश्क" नाम की चीज है ना, साला! बहुत बडी़ बीमारी है। इसे या तो लगाना ही नही चाहिए,या तो ऐसा लगाओ कि इसका नशा कभी उतरे ही ना। रोग...
रोग...
read moreगौरव गोरखपुरी
दूसरों की खुशियों में खुश नहीं कैसा ये रोग है। रोग का भी क्या खूब हो रहा उपयोग है! निंदा रसपान करेे कोई , कोई लगा रहा भोग है ! अजीब लोग हैं... झूट , कानों से कानों तक पहुंच रहा गजब का उद्योग है! जिस कान तक पहुंच गया वो सालों - साल निरोग है! मगर पहुंचा , हर कान तक , अलग अलग गजब का संजोग है! अजीब लोग है... मदद में साथ नहीं खड़ा कोई मगर निंदा में खूब हो रहा सहयोग है! बंटता जा रहा सभी में क्या ये मोहनभोग है!! इलाज इसका कुछ दिखता नहीं क्या ये प्रेम रोग है!!! अजीब लोग है...। रोग
रोग
read moreTubeLights
पाल ले एक रोग नादान जिंदगी के वास्ते, सिर्फ सेहत के सहारे उम्र कटा नहीं करती ।। ©TubeLights रोग
रोग
read morePankaj Priyam
ग़ज़ल देख लो क्या हुआ देखते-देखते, रोग कैसा बढ़ा देखते-देखते। खौफ़ में सब अभी जी रहे हैं यहाँ, चैन सबका लुटा देखते -देखते। दर्द सबको यहाँ चीन ने जो दिया, विश्व पूरा जला देखते-देखते। कैद घर में हुए क्या ख़ता थी भला दण्ड सबको मिला देखते-देखते। मरकज़ों से बढ़ा रोकना है कठिन बढ गया दायरा देखते-देखते। थूकते हैं उन्हीं पे करे जो दवा जग बना है बुरा देखते-देखते। हाल अब क्या सुनाए *प्रियम* आपको, दर्द सबको हुआ देखते-देखते। ©पंकज प्रियम रोग
रोग
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