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Jitendra kumar sarkar
कोई पंछी जिस पर लड़खड़ाया यूं। उसने कहा मुझसे -पंछी ने ऐसा कहा क्यूं। मैंने कहा भई हौंसला रख पंछी से टकरा लेना । तुझे और क्या चाहिए आखिर क्यों नहीं आगे बढ़ना। वो पंछी कैसे पहुंचा , मुझे उसकी नींव गिरानी है । हर कदम उसका साथ क्यों दूं मैं, मुझे तो उससे दुश्मनी निभानी है। ऐसे विषैले बीज से मानव -दानव बन चला । मानव रुपी पौध में इंसानियत को भेद चला । आखिर उसने मुझे क्यों बोला, इसका कोई तो चक्कर है । इसी कड़ी में अंत तक भंवरा घनचक्कर है। ©Jitendra kumar sarkar #Nojoto #criticism #hindi_poetry
Visu
Happiness begins with loving yourself, every beautiful inch, no matter what anyone else thinks—and forgiving yourself, too, so that you can grow. ©Visu #umeedein #Feminist #power #Happiness
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