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Ek Khayal
#आना तो था क्या बताऊ हाल प्रिय।।। प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं प्रिय अभी जिम्मेदारियो से बँधा हुं दफ्तर मे कुछ लोगो से घिरा हुं उनकी भी कुछ फरियाद है शायद उस गरीब की मुझसे भी बड़ी आस है वो आए थे फ़टी चप्पल मे, जब तेज दोपहरी थी उनके माथे की लकीरे मेरे सुख से भी गहरी थी।। हो सकता है उनकी दुआ से चमत्कार हो जाए फिर क्या पता तुम सामने बैठीं हो और तुम्हारी बक-बक के साथ अदरक वाली चाय हो जाए... Tj.. . ©Ek Khayal दफ्तर
दफ्तर
read moreLala Saini
जीवन में एक बार तो साथ ही दोस्त मुश्किल में आयगा ©Lala Saini #BehtaLamha दफ्तर
#BehtaLamha दफ्तर
read moreAditya Fogat
आंखों पे बंधी पट्टी हमारी भी खुली जिनसे समझ बैठे से दोस्ती , उनसे तो सिर्फ पहचान निकली पर आखिर सच्चाई तो दफ्तर छोड़ने पर पता लगी । #दोस्ती #दफ्तर
Sanjeev Jha
आजकल के दफ्तरों में ऐसे जाकर आना हुआ सांस का जैसे नर्म जाना गर्म बाहर आना हुआ ©SANJEEV JHA #दफ्तर #OneSeason
Aditya Fogat
आंखों पे बंधी पट्टी हमारी भी खुली जिनसे समझ बैठे से दोस्ती , उनसे तो सिर्फ पहचान निकली पर आखिर सच्चाई तो दफ्तर छोड़ने पर पता लगी । #दोस्ती #दफ्तर
Ekta Gour
पैसा पैसा करते हो अपने हालत पर गौर नहीं करते हो तबीयत ठिक ना होने पर भी दफ्तर जाने कि तुम सोचते हो इतना थक जाने पर भी अपना काम मन लगाकर करते हो अपना खयाल भी थोडा करो यार #पैसा #दफ्तर #काम
Ek Khayal
देखो न कितना उलझ गए कगजो मे हम ऐसा क्या है इन कागजो मे जो उनसे गुफ्तगु करते हो खड़े है हम सामने फिर भी बात कागजो की ही करते हो।। वैसे मिले थे हम कुछ महीनो पहले जब छोटी मुलाकात मे लोगो की बात बन जाती थी।। जब नजर की एक नजर से कई दिनों की बात हो जाती थी भूल गए हो वो नजाकत या है कोई गम।। अब लोग भी बोलने लगे है बात सच थी या अफवाहों मे थे हम देखो न कितना उलझ गए कागजो मे हम. ... Tj... ©Ek Khayal सरकारी दफ्तर... #mybook
सरकारी दफ्तर... #mybook
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