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Shadab Khan
त्तीस लाख स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैला भारत टूरिज्म के मामले में किस पायदान पर है? जनाब, आबादी में दूसरे, लैंड एरिया में सातवें और जीडीपी में तीसरे स्थान वाले इस देश को विश्व भ्रमण सूची में 34वां स्थान मिला है. 34वां, सुनकर भले ही शर्म आ रही होगी मगर देखा जाए तो इसकी वजह हम और हमारी सरकार दोनों है. कुल जमा दो लाख स्क्वायर मील एरिया और साढ़े चार करोड़ आबादी. स्पेन आज अकेला विश्व भ्रमण करने वाले साल के आठ करोड़ लोगों का पसंदीदा देश है. आठ करोड़. सोचिए, पूरे विश्व में अगर साल भर में 50 करोड़ लोग टूर करते हैं तो उनका सोलह प्रतिशत स्पेन खींचता है और फ्रांस साढ़े आठ से नौ करोड़ लोगों की पहली पसंद है. वर्ल्ड टूरिज्म फ्रेंडली कंट्री की लिस्ट के मुताबिक फ़्रांस और स्पेन पहले दूसरे नंबर पर बने रहते हैं. फ्रांस, जो कुल ढाई लाख स्क्वायर मील एरिया रखता है. इसके बाद क्योंकि विश्व की सबसे बड़ी मंडी यूनाइटेड स्टेट्स हैं, तो तीसरे नंबर पर उनका होना अजीब नहीं लगता. पर अजीब लगता है चौथे नंबर पर चीन का होना. सोचिए, 6 करोड़ से ज़्यादा लोग सालाना चीन की सैर करते हैं. अब आपके दिमाग में भी वही सवाल घूम रहा होगा, बत्तीस लाख स्क्वायर किलोमीटर एरिया में फैला भारत इस पायदान में कहां है? तो जनाब, आबादी में दूसरे, लैंड एरिया में सातवें और जीडीपी में तीसरे स्थान वाले इस देश को विश्व भ्रमण सूची में 34वां स्थान मिला है. 34वां, शर्म आ रही है थोड़ी? नहीं तो अभी आयेगी. फ्रांस, स्पेन, अमेरिका यहां तक की नीदरलैंड भी बिलियन डॉलर्स की कमाई सिर्फ टूरिस्ट से ही कर रहे हैं. अगर हम कहें कि हमारे यहां क्राइम ज़्यादा है शायद इसलिए टूरिस्ट नहीं आते, तो क्राइम के मामले में मेक्सिको, यूनाइटेड स्टेट्स सबके बाप हैं. मैक्सिको की सूखी बंजर ज़मीन और ड्रग कार्टेल के साथ लड़कियों को उठाकर ले जाने वाले दर्जनों हॉलीवुड फिल्में देखने के बावजूद टूरिस्ट के लिए सातवां सबसे बढ़िया देश है. यहां चार करोड़ से ज़्यादा लोग सालाना सफ़र पे जाते हैं. पर्यटन के मामले में भारत अन्य देशों से कहीं पीछे है हम कहें कि हमारी आबादी कंटक है, यहां इतनी भीड़ है कि फॉरनर्स को सुकून नहीं मिलता, तो जनाब चीन तो डेढ़ सौ करोड़ लोगों को पाल रहा है, फिर वो कैसे लिस्ट में चौथे नंबर पर है? पर हमारे यहां दो करोड़ लोग भी पूरे नहीं आते. आख़िर समस्या क्या है? मैं एक बार चांदनी चौक घूम रहा था. मैंने देखा कि कुछ फॉरनर्स तसल्ली से फुटपाथ के रास्ते लाल किले की तरफ जा रहे थे कि एक आदमी ने उसके ठीक सामने गुटखा थूक दिया. मुझे घिन्न आ गयी तो सोचिए उनका चेहरा कैसा बना होगा? इसके विपरीत मुंह से गू थूकने वाला गन्दी सी स्माइल करके जाने लगा तो चार वहीं के दुकानदारों ने रोका, उन्होंने ख़ूब गालियां दीं पर अब इन गालियों का क्या? इज्ज़त की तो लंका लग गई. तो पहला रीज़न है यहां टूरिस्ट कम आने का कि हम गन्दगी बहुत रखते हैं. कहीं भी पिशाब करना हमारी हॉबी लिस्ट में आता है. दूसरा कारण है शोर, हम मेकलोड़गंज में थे, सब सुकून से था. आराम से कुछ इजराइली चैन के कश खींच रहे थे कि अचानक दस-बारह के ग्रुप में लोगों का वहां आगमन हुआ और उन्होंने इतना हल्ला मचाया, इतना गर्दा किया उस कैफ़े में कि हमारे सामने-सामने वो इजराइली उठकर और ऊपर की ओर चले गए. ध्वनी प्रदूषण वो श्रेणी हैं जिसे हम मिथक मानते हैं, हमारे यहां शोर को किसी वॉयलेंस में काउंट ही नहीं किया जाता. तीसरा सबसे एहम कारण है पर्यटन मंत्रालय का उल्लू की तरह सुप्त अवस्था में होना और कर्मचारियों का घोंघे की गति से काम करना. एक सरकार अगर टूरिज्म के प्रति सजग हो तो वो एक से बढ़कर एक ऑफर निकालती है, विज्ञापन बनवाती है, फिल्मों में डायरेक्ट-इनडायरेक्ट ज़िक्र करवाया जाता है. विदेशी फिल्मों को शूट करने के लिए स्पेशल छूट दी जाती है. हॉलीवुड फिल्में देखते हैं? इन दिनों गौर करियेगा कि थोक के भाव से मोरोको दिखाया जा रहा है. क्यों? Fast and furious का आख़िरी पार्ट Hobbs and shaw याद है? उसमें क्लाइमेक्स Samoa में दिखाया गया था, क्यों? कोई ठीक से जानता भी है कि Samoa नक़्शे में है कहां? पर देखकर ये ज़रूर मन में आया न कि कितना सुन्दर है?दुनिया को छोड़िए, ज़रा सी अक्ल लगाकर सोचिए कि क्यों ज़ोया ने ZMND में स्पेन दिखाया? उस फिल्म के बाद एक मिलियन से ज़्यादा भारतियों ने स्पेन ट्रिप प्लान की थी. सोचिए, दस लाख लोग 1000 यूरो भी ख़र्च करके आए तो कितना पैसा बनेगा? 1 बिलियन यूरो. मतलब आठ हज़ार करोड़ रुपये. कैसे? मात्र एक फिल्म के आने से. हालांकि नज़र भर के देखिए तो हमारा जैसलमेर किसी मोरोको से कम नहीं. हमारे हिमांचल के मुकाबले स्वित्ज़रलैंड कुछ नहीं क्योंकि साल के कई महीने वहां जीना मुश्किल हो जाता है, पर हिमांचल आप बारह मास घूम सकते हो. उत्तराखंड का किसी से क्या मुकाबला, श्रीनगर जैसा शहर तो कोई है ही नहीं. लद्दाख का कोई विकल्प ही नहीं बना विश्व में, फिर भी हमारे देश में जो डेढ़ पौने दो करोड़ टूरिस्ट आता है उसका कारण हमारे देश का ‘Cheap’ होना होता है. अब एक चौथी समस्या भी बताता हूं. जैसा ऊपर लिखा, टूरिज्म बढ़ाने का बहुत बड़ा कारण सेलेब्रिटी, सिनेमा या साहित्य भी होता है. सिनेमा बनाने के लिए यहां टैक्स में कोई रिबेट नहीं मिलती. आप यकीन करिए, अगर मैं आने-जाने का ख़र्चा हटा दूं तो जितने में मैं प्राग (Prague) में फिल्म बना लूंगा, उतने में बिहार में नहीं बनेगी. क्योंकि प्राग मुझे हर संभव सुविधाएं और टैक्सेशन में छूट देगा, वहीं बिहार में मैं बाहुबलियों की पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देने में ही अपने कपड़े उतरवा लूंगा. साहित्य ज़रूर इस तरफ काम सकता है, करता भी है पर साहित्य की रीच अब दिनों दिन कम होती जा रही है. एक बढ़िया टूरिज्म पर लिखी किताब का आंकड़ा हज़ारों में नहीं पहुंच पाता. जबसे मैं रेगुलर यहां -वहां टूर करने लगा हूं तबसे ये कुछ बातें गांठ बांध ली हैं. कभी कहीं कोई बोतल, प्लास्टिक रास्ते में नहीं डालता हूं. अपने बैग में रखता हूं और वापस होटेल आकर डस्टबिन के हवाले करता हूं. कभी बेवजह हल्ला नहीं करता न साथ वालों को करने देता हूं. नेचुरल पेड़ पौधों या जानवरों के ऊंगली नहीं करता. हां कई बार कुत्तों को बिस्किट ज़रूर खिलाए हैं, वो भी वही जो मैं ख़ुद खाना पसंद करता हूं. कोई भेदभाव नहीं. खरीददारी के लिए दुकानों की बजाए पटरी, ठेले वालों से लेता हूं, शहरों में टूरिस्ट पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा योगदान होता है, इनका बने रहना बहुत ज़रूरी लगता है मुझे. बहुत छोटी-छोटी सी चीज़े हैं जो हमारे देश को ठीक से अच्छा और अच्छे से बेहतर बना सकती हैं. जितना टूरिज्म पूरा फ्रांस और स्पेन में जाता है, इतना टूरिज्म हमारी एक-एक स्टेट बुलाने का माद्दा रखती है. बस ज़रुरत सबके सहयोग की है, आप, हम, सरकार सब लोग. सबको समझने की ज़रुरत है कि टूरिज्म एक बहुत-बहुत बड़ा धंधा है विश्व का, अरबों डॉलर्स कमाने का ज़रिया है, आपकी हर एक गुटखे की पीक इसमें कुछ सौ डॉलर्स कम करती चलती है, क्या आप ऐसा चाहते हैं कि देश सिर्फ और सिर्फ गन्दगी की वजह से जाना जाये ©Shadab Khan Promote India for tourism
Promote India for tourism
read moreLeveen bose
The increase in hate, abuse, violence and the Increase in medical facilities are directly proportional to each other. Name a country which is known for medical tourism. #hate #abuse #violence #medical #tourism #india
Nirmal Kumar Airwal
देश को जान से ज्यादा प्यार करो दिल में अगर है गद्दारी जल्द ही उसे तमाम करो पाक नेकीयत को सलाम करो क्योंकि हर बुराई का सदा होता है अंजाम बुरा my oven article on country the my India for everyone peoples
my oven article on country the my India for everyone peoples
read moreAakash Gupta
हर जगह विशिष्ट हर इमारत इतिहास अपना सबसे कहती है, पर्यटकों की दृष्टि में अन्वेषण और सत्कार में ही सच्ची मस्ती है विभिन्न भाषाओं के ज्ञान से रूबरू होते हम पर्यटन के माध्यम से, एक नही वरन कई संस्कृतियाँ जी उठती हैं पर्यटकों के आगमन से ✍🏻 #tourism
ProfoundWriters
Article on Independence Day Writer: ANNAPOORNI.E.G Voice: Susmita #profoundwriters #nojotoenglish #Article #IndependenceDay Indi
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