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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
पर्यायवाची......
read moreपूर्वार्थ
पुरूष, तुम संघर्षो, और घर्षण से, सबको बचाते बचाते, स्वयं पाषाण हो गए हो, पर कभी कभी , इन पाषाणों से भी, रिसता है , दो बूँद पानी, जब किसी , अपने के ही, द्वारा दी , खरोंच , छील देती है , इनकी , गहराईयों में, सबसे छिपाकर, रखी आत्मा को, बहने लगते है, दो बूँद अश्रु, इन पाषाण हृदयों से, चटकने लगती है, इनकी कठोरता , कुछ काँच सी, तब इन्हें भी , जरूरत होती है, एक स्त्री की, जो संभाल ले , इन्हें एक, अबोध शिशु, की तरह , नहीं तो , ये भी टूट, जाते है , सदा के लिए । ©purvarth #पुरुष का स्त्रीत्व
#पुरुष का स्त्रीत्व
read moreJogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
nojoto ka पर्यायवाची #Light
read moreअल्फाज़
अगर पुरुष को कोई दूसरा नाम देना हो तो दे सकते हैं जिम्मेदारी, आखिर यही तो है जिसे उसे जिंदगी भर निभानी हैll और सच कहूं तो वह जब तक इसे निभाएगा, तब तक सम्मान पाएगा, और जिस दिन मुंह से निकली ना उस दिन पिछला सारा भुला दिया जाएगा!! उसकी जिम्मेदारियों को समझो ऐसे, घर में अकेली मां का संतान है कोई, घर के कर्जे का भुगतान है कोई, किसी को बाजार ने मिलकर गिराया, और कोई बन कर रह गया बस दुकान का किराया ll किसी को लोगों के तानों ने मारा, और किसी को महंगे दिल ने नकारा ll कोई शहर में जाकर थोड़ा कमा रहा, तरक्की कम उम्र ज्यादा गंवा रहा!! जब कहना हो पुरुष को बुरा तो न जाने क्या क्या बोला जाता है, उसकी खूबियों को तो बस अंको में तोला जाता है !! और वह चाहता क्या है, और सोचता है क्या, यह पूछने उससे कौन आता है, पहला प्रश्न तो आखिर सबका एक ही है "आखिर लड़का कितना कमाता है" ©विनोद जोशी पुरुष का दूसरा नाम जिम्मेदारी
पुरुष का दूसरा नाम जिम्मेदारी
read moreNisha Gupta
🔹सबकी सेवा का बेड़ा उठाता है पुरुष, खुद दब के सबको उठना सिखाता है पुरुष घरो की शान और गुणों की खान होता है वो, कैरियर के पीछे बना घर का मेहमान होता है वो, अपने माँ- बाप की आखों का तारा होता है , सबके सपनो का सहारा होता है वो, सबकी हसरतों का करता है सम्मान अपनो के लिए रहता है हर वक्त परेशान इतना सब त्याग कर रह लेता है खड़ा, अपने अंदर सारी विपत्ति सारे दर्द सह लेता है पुरुष, पुरुषों के सम्मान की बात होने पर स्त्री के सम्मान को नहीं भूलना चाहिए.... 🥀🙏 ©Nisha Gupta #पुरुष का अस्तित्व 🙏🙏
#पुरुष का अस्तित्व 🙏🙏
read moreEk villain
इस सृष्टि के उद्भव के विषय में विचार करते हुए कहा गया है कि इसके आदि में केवल एक अकेला भ्रम ही था जो आरोपी तथा करता था तब किसी समय उसके मन में यह इच्छा जागृत हुई कि वह एक से बहुत हो जाए उसकी यह इच्छा ही एक अनुपम योगिता का रूप धारण कर उसके सामने आकर खड़ी हो गई जो बाद में पुरुष रूप धारण किए उस भ्रम की पत्नी बन कर उसे सेरेमनी हुई इसी सृष्टि वीर पुरुष और स्त्री का पहला सहयोग था ©Ek villain #amirkhan संयोग वियोग स्त्री पुरुष का
#amirkhan संयोग वियोग स्त्री पुरुष का
read moreKiran Rani
पुरुष होने का अर्थ अब भला कौन जानता है, दर्द में भी हंसकर जीने का मर्म वो पहचानता है। सच्चा पौरुष वो जो जिंदा आज है, अपनों के लिए जीता और ख़ुद के लिए सालता है। टूटा हुआ हो बेशक जिंदगी के हालातों से, मगर अपने घर परिवार को वो पालता है। तुफान गर चाहें बिखेरना उसके जिम्मेदारीओ को, मजबूत शिला बन सबको वो ही फिर संभालता है। दिल से मासूम और कमजोर है वो फिर भी, दुनियां के बोझ लिए जिंदगी में खुशियां खंगालता है। नारियल सा होता है अक्सर पुरुष वो जो, भावनाओं को दबा अपना सख्त मिजाज दर्शाता है। क्या हुआ अगर वो दिल हल्का करना चाहे, हंसना, रोना, और जीना पुरुष भी तो चाहता है। पुरुष होने का अधिकार जताने बताने से केवल, पुरुषों सुनो, पुरुष बिल्कुल नहीं बना जाता है। जिसमें हो प्रेम, दया, करुणा का भरपूर सम्मेलन, वो इंसान ही इस धरती पर पुरुष कहलाता है। आज कौन पुरुष होने का मतलब जानता है..... 'किरन' #NojotoQuote पुरुष होने का अर्थ #male #feeling
BANDHETIYA OFFICIAL
White वो परम पुरुष जिसकी बनावट से परे, परित: कुछ भी नहीं है, वह स्वयं भी उससे बाहर नहीं है, अंदर,बाहर कहके कुछ नहीं है, पूरा ब्रह्मांड उसी में है,वही है, वसन,वासन के नाम पर भी कुछ नहीं है, जैसे हमारी आपादमस्तक नग्न काया, बस उसी के प्रतिरूप हम, हम उसी को स्वयं को समर्पित मानते हैं, ये लौ जब मिट्टी ढहाके निकलेगी, तब स्वयं को सोचता हूं, आंत्र,मल, मूत्र से विसर्जित मैं, उसके कोमल हृदय स्पंदन में जा बसूं, जहां से फिर जठराग्नि में पड़कर, मल, पित्त,कफ,स्वेद बनना न पड़े, हे परमात्मा परम पुरुष! ©BANDHETIYA OFFICIAL #परम पुरुष का हृदय स्पंदन बनूं।
#परम पुरुष का हृदय स्पंदन बनूं।
read moreShravan Goud
समय की मांग यह है कि पुरुष, नारी के सम्मान की रक्षा करे और उसे हर क्षेत्र में अग्रणी बनाए। यही पुरुष अंतरराष्ट्रीय दिवस का सपना हो।
यही पुरुष अंतरराष्ट्रीय दिवस का सपना हो।
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